बकरा ईद के दिन ‘मुस्लिम’ बेटी ने अपनी माँ का ‘ब्रामहण’ रितिरिवाज से किया अंतिम संस्कार ।
मुंबई :- मेहमूद शेख.
ईद -उल- अधा के मौके पर पूरा देश खुशिया मानाने में व्यस्थ था , लेकिन ईद के दिन भी कुछ घर ऐसे थे जहा वीरानी छाई हुवी थी .
इन्ही में से एक विरान घर था ‘रेहाना खान’ का , ईद के एक दिन पहले ही खान की माँ का निधन हो गया ।
‘रेहाना खान’ ,की माँ का नाम ‘भागीरथीबाई दौलत दलवी ‘ था . वह केंसर जैसी बड़ी बीमारी से लड़ रही थी, काफी दिनों से उनका इलाज मुंबई के अलग-अलग अस्पताल में चल रहा था , ‘भागीरथीबाई ‘ अपने अंतिम समय में भी अपनी बेटी के ‘ओशिवारा’ वाले घर में ही थी , उन्होंने ने अपनी आखिरी साँसे बांद्रा के ‘शांति अवेदना सदन’ अस्पताल में ली !
‘भागीरथीबाई’ की ब्रामहण लड़की ‘रेहाना खान’ कैसे बनी ?
आज से लगभग ३२ वर्ष पहले ‘रेहाना खान’ का नाम ‘रंजना दलवी ‘ था , रंजना जब वह १८ वर्ष की थी तब उसने ‘अहमद बशीर खान’ नामक व्यक्ति से प्रेम विवाह किया .
क़ानूनी सलाहकार की माने तो अब ‘रंजना दलवी’ लीगल तौर से इस्लामिक धर्म की मोमिन लड़की ‘रेहाना खान’ है ।
‘रेहाना खान ‘ने मीडिया डिटेक्शन को बताया की उनकी माँ की आखिरी ख्वाहिश थी, की भविष्य में कभी भी उनका निधन हुवा तो उन्हें उनके ही ब्रामहण रीतिरिवाज से अंतिम समय में विदा किया जाये , जिससे उन्हें शांति प्राप्त होगी . अपनी माँ की आखिरी ख्वाहिश ‘रेहाना खान’ ने ईद के पाक दिन पर पूरी की , खान ने अपने बेटे ‘अनवर अहमद’ तथा ‘अक्तर अहमद ‘ को ब्रामहण धर्म के जानकर पंडित के अनुसार अपनी माँ को अग्नि देने को कहा !
अग्नि देने कुछ घंटो बाद खान ने कहा की मुझे पूरी दुनिया की दौलत मिल गयी जो मुझे मेरी माँ को अग्नि देने का स्वभाग्य प्राप्त हुवा ।
रेहाना खान की दोस्त ‘नीता त्रिपाठी’ की माने तो वह अपनी इस मुस्लिम दोस्त पर गर्व महसूस कर रही है ,की उनका पूरा घर इस्लाम धर्म को मानता है और खान ने अपनी माँ का अंतिम संस्कार ब्रामहण रीतिरिवाज से किया ।
‘नीता त्रिपाठी’ के अनुसार रेहाना खान का एक भाई भी है जो खार इलाके में रहता है काफी बुलाने के बाद भी वह अपनी माँ को अंतिम समय अग्नि देने नही आया , अगर बेटे ऐस होते है तो उनका न रहना ही अच्छा है । यह समाज में उनलोगों के लिए सबक है ,जो बेटो की चाह में कन्या भूर्ण हत्या करते है ।
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