नही रहे ईरानी क़बीले के सरदार, ईरानी समाज में चारो तरफ मातम ही मातम ?

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रिपोर्टर.

20 मार्च 2017 को मुम्ब्रा के ईरानी समाज के लोगों पर उस वक़्त मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा जब उनके बीच से उनके क़बीले का सरदार दुनिया से चल बसा!

मुम्ब्रा कौसा में रह रहे तमाम ईरानी उस वक़्त सदमे में आ गए जब उन्हें खबर मिली क़ि हमारे क़बीले के सरदार गुल खान उर्फ़ शेर अली मुम्बई के जेजे अस्पताल में इलाज के दौरान  इंतेक़ाल कर गए!

ख़ास कर रशीद कम्पाउंड में रह रहे ईरानियों के घर में मातम छा गया।तमाम ईरानी समाज के लोगो की मौजूदगी में शेर अली का जनाज़ा तनवर नगर शिया कब्रस्तान में  सुपुर्दे ख़ाक किया गया।

गौरतलब हो  क़ि इससे पहले इनके दूसरे बड़े भाई  ज़हूर का 20 दिन पहले इंतेक़ाल हो चूका है।

यही नही अभी हाल  ही में इनकी दो बहनों का भी इंतेक़ाल हो चूका है।लगातार हो रही मौत से ईरानियों में भारी खौफ पैदा है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि एक साल के अंतराल अब तक लगभग एक दर्जन मौते हो चुकी  है?

जिनमे बुज़ुर्ग जवान दोनों शामिल हैं।

बताते क़ि मरहूम शेर अली एक हँसमुख मिजाज़ का मिलनसार सरदार था!

ईरानियों के हर मसले को बख़ूबी सुलझाने और फैसले करने की महारत हासिल थी।शेर अली का सम्मान दूसरे भी समाज के लोग करते थे।शेर अली एक भारी भरकम और मातबर इंसान थे अकसर जब वह बुलट से चलते थे तो एक बार जरूर आने जाने वाले निगाहभर के उन्हें देखते थे क़ि वाक़ई  कोई सरदार जा रहा है!

शेर अली के खानदान में सात भाई थे जिनमें सबसे बड़े हुज्जत अली ,उसके बाद इनायत अली, इनसे छोटे अफ़ज़ल अली ,फिर इनके बाद रईस अली, ज़हूर अली और सलीम अली थे।

ईरानी समाज के युवा समाज सेवक सेराज समेत तमाम लोगो  ने कहा कि शेर अली के इंतेक़ाल से ईरानी समाज को करारा झटका लगा है इसलिए क़ि शेर अली हम सब को एक साथ लेकर चलते थे हमेशा हम सबको यही समझाते थे क़ि अमन चैन से रहो और कोई विवाद हो जाता था तो उसका निपटारा भी करते थे।इनकी कमी का एहसास पुरे ईरानी समाज को है!

 

 

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