देश पर हक जितना औरों का है उसके बराबरी में मुसलमानों का भी है फिर मस्जिद और मन्दिर की लड़ाई झगडे क्यों है?

देश में जब से बीजेपी की सरकार हुकूमत का दौर चल रहा है देश मे खामोखवाहा हिंदू मुसलमान के बीच नफरतों का माहौल पैदा किया जा रहा है। कहीं गौ वंश, गौ हत्या,उसकी तस्करी, लव जिहाद,मोब लीचिंग और जय श्रीराम का नारा ऐसे सारे नाहक मुद्दों को महज एक कारण बना कर मुसलमानों को टारगेट किया जाता रहा है। निरपराध मुसलमानों के साथ आयदिन ऐसी वारदातें होने का दौर शुरू कर दिया गया है। लेकिन इसे देख ,जान कर भी सता पर बैठे जिम्मेदार हुक्मरान कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते है।

अब आते है मेन मुद्दे पर वसुंधरा सरकार के समय जयपुर में रास्ते के बीच आने वाले 300 से ज़्यादा मंदिर हटाए गए थे। लेकिन उनका पुनर्निर्माण भी किया गया था।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान सेकड़ो छोटे छोटे मंदिर तोड़े गए। इसके एवज में सरकार ने वहाँ के लोगो को 650 करोड़ की लागत का एक बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल बनाकर दिया।

अभी हाल ही में राजस्थान के जोधपुर जिले में 75 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण कार्य चल रहा है। रिंग रोड़ के बीच आने वाले सेकड़ो मंदिर हटाए गए हैं, जिन्हें सड़क के एक तरफ फिर से निर्मित किया गया है।
विकास कार्यो के आड़े आ रहे मंदिरों को हटाने का काम लोगों को भरोसे में लेकर किया गया। उन्हें आश्वासन दिया गया कि मंदिरों को हटाकर सुव्यवस्थित तरीके से फिर से बनाया जाएगा.. और आश्वासन को पूरा भी किया गया।
ये नहीं कि चेतावनी भरे नोटिस चिपकाकर बुलडोजर भेज उसपर कार्रवाई को अंजाम दिए गए हों, विरोध कर रहे लोगों पर गोलियां बरसा दी गई हो।

अभी आह उत्तराखंड के हल्दवानी में मस्जिद मदरसे पर बुलडोजर चलाने की तड़प में सरकार और उसके शूटरों ने सरेआम दरिंदगी को अंजाम दिया है। निहत्थे BE कसुरवारों सीने में पुलिस ने गोलियां दागी है जिस में
लगभग 6 लोगों की मौत हुई, सैकड़ो लोग घायल हुए। जबकि कानूनन सीधे तौर से किसी के सीने पर या पीठ पर गोली चलाने का अधिकार नहीं देता।लेकिन मुसलमानों की जान शायद पुलिस की नजर में
सब से सस्ती लगती है।ये समझकर पुलिस ने डायरेक्ट उन मुसलमानों के सीने और पीठ पर हैवानियत का परिचय देकर गोलियां चलाकर उन्हे मौत के घांट उतार दिया।

लगभग देश के सभी जिलों में अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर कोर्ट का स्पष्ट आदेश है। लेकिन इस आदेश को शांति व्यवस्था बनाए रखने के साथ इम्प्लीमेंट करने का काम सरकार और प्रशासन का है। अतिक्रमण हटाने के दौरान यदि कोई हिंसा होती है, आमजन और पुलिसकर्मी घायल होते हैं तो ये प्रशासन का फेलियर है।

हाल ही में राजस्थान सरकार ने प्रदेश के 20 मंदिरों हेतु 300 करोड़ का बजट घोषित किया है। इस तरह की सौगातें सभी प्रदेशों के मंदिरों को दी जाती होगी।
एक तरफ आप मंदिरों पर दोनों हाथों से धन वर्षा कर रहे हैं, दूसरी तरफ मस्जिदों मदरसों पर इस तरह से दरिंदगी भरी कार्यवाही कर रहे हो? आपको मस्जिद मदरसा हटाना था, हटा देते… लेकिन लोगों को भरोसे में लेकर। जिस प्रकार से देश भर से मंदिर हटाने के दौरान लोगों को भरोसे में लिया गया, उन्हें पुर्ननिर्माण का आश्वासन दिया गया। सरकार चाहे तो मामला शांति से निपटा सकती है। लेकिन किसी का धंधा ही साम्प्रदायिक आग भड़काने का बन चुका हो तो किया क्या जा सकता है?

वरना बता दीजिए, कौनसे पहाड़ पर, किस सड़क पर और किस पार्क में अतिक्रमण नहीं है? हमारे यहाँ तो लगभग सभी सार्वजनिक पार्को में मंदिर बने हुए हैं। लगभग सभी पहाड़ों पर मंदिर हैं। वनभूमि पर मंदिरों की श्रृंखला है। कल को अगर इन्हें हटाना पड़ जाए तो क्या इस बेदर्दी से हटाएंगे? साम्प्रदायिक उन्माद में पागल भीड़ को साथ लेकर, गोलियां बरसाते हुए?

नहीं भाई. पहले तो आप माथा टेकेंगे, फिर मूर्ति को आदर के साथ उठाकर एक तरफ रखेंगे।. बुलडोजर थोड़ा शर्माते हुए पत्थर हटाएगा। अफसर गर्दन लटकाकर, कंधे झुकाकर खड़े रहेंगे। बस यही व्यवहार हम चाहते हैं, हमारे साथ भी हो। मस्जिद जाने से इस्लाम नहीं चला जाता ये बात जानते हैं हम। अतिक्रमण है, तो हटाइए.. लेकिन लोगों को भरोसे में लेकर। जो पॉलिसी मंदिरों के लिए अपनाते हो वो मस्जिद मदरसों के लिए भी अपनाइए।लेकिन मुसलमान मानकर जान बूझकर उनपर इस तरह से गोलियों का निशाना ना बनाए। इंसानियत का धर्म निभाए। जाती भेद का नही।
अगर ऐसा नहीं कर सकते तो ऐसे भेदभाव पर लानत है।

साभार
अब्बास पठान

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT