देश के लिए बड़ा सवाल: भाजपा के राज में ही क्यों होते हैं अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले?

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रिपोर्टर.

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर बड़ा आंतकी हमला हुआ है!

सोमवार की शाम लगभग साढ़े आठ बजे हुए इस हमले में अब तक 7 लोगों के मौत की खबर आई है।
वहीं 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।
इस हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट कर दिया गया है।
वहीं घायल 32 श्रद्धालुओं को इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाया गया है.
आतंकियों के इस हमले ने भाजपा और पीडीपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है!
वहीं केंद्र की मोदी सरकार भी सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है?
जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं बने थे तो वह आतंकी हमलों पर कड़ी निंदा की बजाय कार्रवाई करने की बात कहते थे।
लेकिन जबसे उनकी सरकार बनी है आतंकी हमलों की बाढ़ सी आ गई है।
खुफिया एजेंसियों के पास अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाकर हमले का इनपुट पहले से था, लेकिन सरकार के तमाम दावे फेल साबित हुए हैं।
इंटेलिजेंस रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि यात्रियों पर हमला हो सकता है। तो कैसे चूक हुई इसका जवाब कौन देगा।
आखिर क्या कारण है कि आज देश के पास एक अदद रक्षामंत्री भी नहीं है?
इस घटना ने 40,000 सशस्त्र बल की बहु स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था और हाई अलर्ट के सरकारी दावे की पोल खोल दी।
ऐसा नहीं है कि अमरनाथ यात्रियों पर पहली बार हमला हुआ है।
इसके पहले भी कई बार श्रद्धालुओं पर आतंकी हमला हुआ था।
साल 2000 में आतंकियों ने पहलगाम बेस कैंप पर हमला किया।
इस हमले में 30 श्रद्धालु मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए थे।
आतंकी साधु के भेष में तीर्थ यात्रियों के साथ घुलमिल गया था।
उसने पहले से रास्ते में प्लांट की गई आईईडी डिवाइस को रिमोट के जरिए ब्लास्ट किया इसके बाद ऐके-47 राइफल से अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दी।
इसके बाद साल 2001 में एक कैंप पर आतंकियों ने 2 हथगोले फेंके थे, जिसमें 12 लोग मारे गए थे और 15 लोग घायल हुए थे।
जुलाई 2002 में आतंकियों ने जम्मू के पास यात्रियों पर हथगोला फेंका और गोलियां चलाईं थी।
इस हमले में 2 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 2 घायल हुए थे।
06 अगस्त 2002 को जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों के एक कैंप पर आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 10 से ज्यादा लोग मारे गए और 20 अन्य घायल हुए थे।
वहीं साल 2006 में भी आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया था।
इस हमले में एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी।यहां सवाल यह उठता है कि ज्यादातर अमरनाथ हमलों के समय देश में बीजेपी की सरकार थी।
तो क्या भाजपा सरकार इन हमलों को सीरियसली नहीं लेती।
जब-जब भाजपा सरकार रही तब-तब सीमाएं असुरक्षित रहीं और ख़ुफ़िया तंत्र फेल।
जिसकी वजह से आम नागरिक और वीर सैनिकों को जान देकर कीमत चुकानी पड़ी।
कारगिल से लेकर संसद हमले तक की हरकतें भाजपा सरकार के दौर में ही हुई !

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