जाने सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के स्कूलों में योगा को अनिवार्य करने की याचिका को क्यों ख़ारिज कर दिया ?
रिपोर्टर.
बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि पहली से आठवीं क्लास तक योगा को अनिवार्य कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की एक बैंच ने इस मुद्दे पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि इस तरह के मामलों में केवल सरकार ही निर्णय ले सकती है।
हम यह कहने वाले कोई नहीं हैं कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए!
यह हमारा काम नहीं है, हम इस बारे में किस तरह से निर्देश दे सकते हैं ?
दिल्ली के बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाख़िल की गई याचिका में एनसीईआरटी, एनसीटीई और सीबीएसई को स्कूलों में स्टैंडर्ड योगा बुक उपलब्ध करवाने के लिए आदेश देने की मांग की गई थी।
ग़ौरतलब है कि बीजेपी शासित राज्यों में स्कूलों के पाठ्यक्रमों विशेषकर इतिहास में बड़े बदलाव किए गए हैं!
और विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी सरकारें बच्चों को स्कूलों में ग़लत इतिहास सिखाने की साज़िश रच रही हैं?
बीजेपी पर आरोप है कि जहां पहले उसका ध्यान विशेष रूप से प्राचीन और मध्यकालीन भारत के इतिहास पर था,
वहीं अब वह आधुनिक इतिहास को भी हिंदुत्ववादी दृष्टि से लिखवाने को प्राथमिकता दे रही है !