जाने नालासोपारा के सभी प्राइवेट निजी स्कूलों में किस तरह मचा है लूट खसोट का कारोबार ?

रिपोर्टर.
नालासोपारा ,वसई, विरार के सभी प्राईवेट निजी स्कूलों मे अपनी मनमानी से फीस उसूली कर स्कूली चीजों मे जबरन पैसा उसूलने का काम जोंरों से चलरहा है
सालाना ऐक्जाम के बाद दो महीना स्कूल बन्द रहता है ।
स्कूल चालू होने के बाद बच्चों को रीेजल्ट देने के टाईम दो महीने स्कूल बन्द रहने की भी एक्स्ट्रा फीस वसूली जाती है फिर रीजल्ट देने का पैसा ,ऐडमीशन का पैसा साथ ही अब तो स्कूलों मे किताब कापी का बिजनस जोरों से चल रहा है! एक साल की किताब कापियां एक साथ उठा कर देदी जाती है जोकी उतनी कापी की जरूरत भी नही है ।
अगर वही किताब मार्किट मे खरीदी जाये तो उसकी कीमत ५०रूपया है।
लेकिन स्कूल मे ७०रूपया लगा कर बेचा जारहा है ।बाहर से किताब कापी खरीदने का परिजनों को अधिकार नही दिया गया है अगर कुछ भी खरीदना है तो स्कूल से लिया जाये यहां तक स्कूल ड्रेस के लिए भी तीस30 परसेंट कमीशन वसूलजाता है। कहां का है कानून?
अगर कोई गरीब अपने बच्चों को पढाना चाहे या शिक्षा दिलाना चाहे तो अैसे चोर शिक्षकों के कारण देश के बच्चे पढक कभीे आगे नही बढ सकते।
चोर लुटेरे लोफर जैसी शक्ल के लगते हैं।
ईन सभी स्कूलों मे टीचरों का ऐसा हाल है कि उनको खुद को ग्यान नही है तो बच्चों को क्या ग्यान देँगे ?
9वी10 ,वी क्लास पढे टीचर बनते है। क्योंकि सेलेरी कम देना पडता है ।बच्चें पढें या ना पढें महीने की फीस बराबर मिलना चाहिए नही तो बच्चों को टार्चर किया जाता है।
फीस लेट होने पर बच्चों को लास मे सबसे पीछे बैठाया जाता है।
अैसे स्कूल यहां के स्कूल का माजरा है ।
जब जाकर तीन चार सालों मे डिगरी कालेज बन जाता है।
हर साल करोंडों का ईन्कम होता है वही मिसाल है शिक्षा के नाम पर भिक्छा मांगनेवाले जैसे काम हो रहे है ।
अतः शिक्षा विभाग की जिस कदर लापरवाही है जिस की कोई जांच पड़ताल्र नही की जारही है ।
आज नालासोपारा के वसई तालुका मे सैकडों प्राईवेट स्कूलें चलाये जारहे है।
जिनमे कितने अैसे स्कूल है जिनके रजिस्ट्रेशन भी नही है।
अैसे भ्रस्ट स्कूलों पर शिक्षा विभाग को जांच करके उन पर कार्वाही की जाये और ऐम आर टी पी लगा कर जेल भेजा जायें ताकी शिक्षा के नाम पर भविष्य में कोई लूट ना हो !