जाने कर्नाटक विधान सभा चुनाव के वक्त किस तरह उड़ाई इलेक्शन कोड आफ कंडक्ट की धज्जियां?

जब कर्नाटक में एलक्शन कोड आफ कण्डक्ट की उड़ी धज्जियां

कर्नाटक असम्बली एलक्शन के दौरान बड़े पैमाने पर कोड आफ कण्डक्ट की धज्जियां उड़ाई गईं। सियासतदानों ने जिस किस्म की सतही जुबान का इस्तेमाल करते हुए अपनी-अपनी पार्टियों के लिए वोट मांगे उससे तय हो गया कि देश की सियासत पूरी तरह गटर में जा चुकी है। एलक्शन कमीशन का रवय्या इस दौरान ऐसा रहा जिसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि कमीशन अब एक संवैधानिक इदारा न रहकर भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन गया है।

कोड आफ कण्डक्ट के शुरूआत में ही कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार या पार्टी लीडर एलक्शन मुहिम के दौरान जात-पात, तबके, मजहब और जबान (भाषा) का इस्तेमाल न तो अपनी पार्टी के लिए वोट हासिल करने के लिए करेगा और न ही किसी तबके, मजहब और जुबान (भाषा) बोलने वाले लोगों को मजरूह (आहत) करेगा। हकायक (तथ्यों) के बगैर कोई इल्जाम किसी पर नहीं लगाएगा। क्या कर्नाटक में एलक्शन मुहिम के दौरान कोड आफ कण्डक्ट की इन बातों पर अमल हुआ?

पूरे देश और दुनिया ने देखा कि बिल्कुल अमल नहीं हुआ। लेकिन एलक्शन कमीशन की नजर जैसे सिर्फ कांग्रेसियों पर ही लगी रही, कोड आफ कण्डक्ट की धज्जियां उड़ाने में कोई किसी से पीछे नहीं रहा। कांग्रेस सदर मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेन्द्र मोदी को जहरीला सांप बता दिया तो पीएम मोदी ने बार-बार कहा कि कांग्रेस विदेशों से मदद लेती है और मुंह भराई (तुष्टिकरण) के जरिए दहशतगर्दी में ज्यादाती करती है। मुंह भराई तो मुसलमानों की ही करने का इल्जाम हमेशा कांग्रेसियों पर लगाया गया है, तो क्या मोदी यह कहना चाह रहे हैं कि सारे मुसलमान दहशतगर्द हैं? होम मिनिस्टर अमित शाह ने बार-बार कहा कि अगर कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता में आ गई तो दंगे ही दंगे होंगे।
कांग्रेस ने अपने इंतखाबी मंशूर (घोषणा पत्र) में लिख दिया कि अगर उनकी सरकार आई तो पीएफआई और बजरंग दल दोनों पर ही पाबंदी लगा दी जाएगी।

मेनीफेस्टो आते ही पीएम नरेन्द्र मोदी इस बात को ले उड़े और कहने लगे कि कांग्रेस तो बजरंगबली को ताले में बंद करने की बात कर रही है। उन्होंने हर पब्लिक मीटिंग में ‘बजरंगबली की जय’ के नारे लगाने शुरू कर दिए और लोगों से अपील करने लगे कि जब वह वोट डालने जाएं तो जय बजरंगबली का नारा लगाकर बटन दबाएं। पीएम मोदी ने चूंकि यह शुरूआत की थी इसलिए पूरी बीजेपी इस काम में लग गई। एक मुहिम चलाई गई कि पूरे कर्नाटक में हनुमान चालीसा पढा जाए। पीएम मोदी जय बजरंगबली के नारे लगाते रहे, लेकिन उनका तकरीबन गुलाम बन चुका एलक्शन कमीशन खामोश तमाशाई बना रहा।

मोदी जब कर्नाटक में यह कह रहे थे कि मुंहभराई (तुष्टिकरण) से दहशतगर्दी बढती है उसी दौरान बारह-तेरह दिनों के वक्फे पर जम्मू में दो बार फौजियों पर दहशतगर्दों के हमले हो गए। दोनां बार पांच-पांच जवान शहीद हुए। जम्मू-कश्मीर में तो तकरीबन पांच सालों से सदर राज (राष्ट्रपति शासन) के जरिए मोदी और अमित शाह की ही हुकूमत है वहां किसकी मुंह भराई की वजह से दहशतगर्दी बढी। वह भी तब जब दहशतगर्दों को ढूढ निकालने के लिए ‘आप्रेशन त्रिनेत्र’ चलाया जा रहा है। मतलब साफ है कि कश्मीर में मोदी और अमित शाह पूरी तरह नाकाम हैं।

मरकजी होम मिनिस्टर अमित शाह ने एलक्शन मुहिम के दौरान खुलकर हिन्दू-मुस्लिम किया, उनपर भी एलक्शन कमीशन खामोश रहा। वह बराबर इस बात का जिक्र करते रहे कि हमने मुसलमानों का रिजर्वेशन खत्म कर दिया है और अगर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार आ गई तो रियासत में तरक्की नहीं दंगे ही दंगे होंगे। क्या एलक्शन कमीशन को यह नहीं पूछना चाहिए था कि वह किस बुनियाद पर दंगे ही दंगे होने की बात कह रहे हैं? खुद अमित शाह को भी यह एहसास नहीं हुआ कि मणिपुर में उनकी पार्टी की सरकार है। वहां की तारीख में पहली बार मैतेई तबके और दीगर आदिवासियों के दरम्यान इतना बड़ा दंगा हुआ कि रियासत के आठ जिले नफरत की आग में जल गए और कई दिनों तक जलते रहे।

सरकार के मुताबिक चौवन (54) तो गैर सरकारी जराए के मुताबिक सौ से ज्यादा लोग मारे गए। हजारों करोड़ की इमलाक जल गई, तीस हजार से ज्यादा लोग अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए क्या यह सब कांग्रेस सरकार में हो रहा था? पीएम मोदी हों या उनके होम मिनिस्टर अमित शाह हों, दोनों अवाम के दरम्यान इंतेहाई हठधर्मी के साथ बात करते हैं मणिपुर में पहली बार बीजेपी की मुकम्मल अक्सरियत से सरकार बनी और इतने बड़े पैमाने पर दंगा-फसाद हो गया, लेकिन अमित शाह कर्नाटक के लोगों से यह कहते फिरते रहे कि अगर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनी तो दंगे होंगे। क्या एलक्शन कमीशन को अमित शाह से यह नहीं पूछना चाहिए था कि वह किस बुनियाद पर यह बात कह रहे हैं।
अगर कोई एलक्शन कमीशन पर उंगली उठाता है तो पूरी बीजेपी यह कहने लगती है कि संवैधानिक (आईनी) इदारे पर हमला हो रहा है। लेकिन आजकल एलक्शन कमीशन जिस तरह काम कर रहा है उसपर एक नजर डालने से कहीं से नहीं लगता कि यह एक गैर जानिबदार (निष्पक्ष) और ईमानदार संवैधानिक इदारा है।

कर्नाटक एलक्शन मुहिम के दौरान एलक्शन कमीशन ने जो रोल अदा किया उसे देखकर यकीनी तौर पर यह कहा जा सकता है कि इस कमीशन से ईमानदाराना और आजादाना (फेयर एण्ड फ्री) एलक्शन कराने की कोई उम्मीद नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे के मेम्बर असम्बली बेटे ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर इशारों-इशारों में उन्हें ‘नालायक’ बेटा कह दिया। बीजेपी ने शिकायत की तो एलक्शन कमीशन ने फौरन ही उन्हें नोटिस जारी कर दिया। इसी तरह सोनिया गांधी ने अपनी तकरीर में कर्नाटक के लिए ‘सम्प्रभुता’ लफ्ज का इस्तेमाल कर दिया। बीजेपी फौरन शिकायत लेकर एलक्शन कमीशन पहुंच गई कि सोनिया गांधी कर्नाटक को देश से अलग करना चाहती हैं।

एलक्शन कमीशन ने इस शिकायत पर भी कांग्रेस सदर मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस जारी कर दिया। कांग्रेस ने एक इश्तेहार छपवाया जिसमें इल्जाम लगाया कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार चालीस (40) फीसद कमीशन वाली सरकार है। एलक्शन कमीशन को यह भी बुरा लग गया और कांग्रेस सदर को नोटिस जारी करके पूछा कि आपके पास क्या सबूत है। फिर पीएम मोदी से यह क्यों नहीं पूछा कि कांग्रेस विदेशों से मदद लेती है मुंह भराई (तुष्टिकरण) से दहशतगर्द पैदा होते हैं यह कहने का उनके पास क्या सबूत हैं। कांग्रेस सरकार आई तो दंगे होंगे इसका अमित शाह के पास क्या सबूत है।

चालीस फीसद कमीशन खाने की शिकायत पर कैबिनेट मिनिस्ट्री से निकाले जा चुके बीजेपी लीडर ईश्वरप्पा को पार्टी ने टिकट भी नहीं दिया। इसके बावजूद उस फिरकापरस्त बेईमान शख्स ने एलक्शन मुहिम के दौरान कहा कि बीजेपी को मुसलमानों के वोट नहीं चाहिए। उसका यह फिरकावाराना बयान भी एलक्शन कमीशन को सुनाई नहीं दिया। एलक्शन कमीशन ने कांग्रेस से पूछ लिया कि बीजेपी सरकार में चालीस फीसद कमीशन खाए जाने का उसके पास क्या सबूत है। कमीशन में बैठे लोग भूल गए कि ठेकेदार एसोसिएशन के सदर ने वजीर-ए-आजम मोदी को खत लिखकर शिकायत की थी कि सरकार में बैठे लोग हर काम में चालीस फीसद कमीशन मांगते हैं। ऐसी ही शिकायत स्कूल चलाने वाले लोगों ने भी की थी। एक ठेकेदार ने तो इसलिए खुदकुशी कर ली थी कि उस वक्त के वजीर ईश्वरप्पा चालीस फीसद कमीशन मांग रहे थे।

यह बातें पूरा मुल्क जानता है फिर एलक्शन कमीशन को और क्या सबूत चाहिए। बीजेपी पूरे प्रदेश में हनुमान चालीसा पढवाती रही एलक्शन कमीशन खामोश बैठा रहा पोलिंग से एक दिन पहले नौ मई को दिखाने के लिए यह आर्डर किया कि एलक्शन मुहिम में हनुमान चालीसा नहीं पढा जा सकता। जबकि एलक्शन मुहिम आठ मई की शाम को ही बंद हो चुकी थी।

संवाद; मो अरशद यूपी

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT