जानिए कुरआन के वैज्ञानिक चमत्कार ,उंगलियों की पहचान के बारे में एक खास रिपोर्ट
मो अफजल
इलाहाबाद
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हर इंसान यहां तक कि जुडवा भाईयो में भी भिन्न तरह के उंगलियों के निशान होते हैं, दूसरे शब्दों में उंगलियों के पोरों में आदमी की पहचान छुपी होती है, इस कोडिंग प्रणाली की तुलना आज के समय की प्रचलित बार कोड (Bar code) प्रणाली से हो सकती है।
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जैसा कि कुरान मे लिखित है कि अल्लाह के लिये बहुत सरल है कि मरने के बाद सारे मानव जाति को दोबारा जीवित कर दे, वहीं पर लोगों के उंगलियों के निशान को प्रमुख विशेषता दी गई है,
कुरान की सूरह अल कियामा पाठ संख्या ७५ की आयत संख्या 3-4 में लिखित है कि
क्या मनुष्य समझता है कि हम उसकी हड्डियों को एकत्र न करेंगे? क्यों नहीं, हम इस पर सक्षम हैं कि उसकी उँगलियों के पोर पोर तक ठीक कर दें।
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उपरोक्त आयत में उंगलियों के निशान का एक विशेष अर्थ भी होता है, क्योंकि हर मानव की उंगलियों की रेखा दूसरे से भिन्न होती है, और जो भी व्यक्ति इस संसार में से चला गया मतलब मृत्यु हो गयी उनकी भी और जो जिंदा हैं उनकी भी उंगलियों की रेखाऐं भिन्न होती हैं,
इसके अतिरिक्त दो जुडवा भाई जिनकी DNA श्रंखला भी एक सी होती हैं उनके भी उंगलियों के निशान अलग अलग होते हैं।
मानव उंगलियों के निशान जन्म से पहले आकार ले लेते हैं,और पूरी आयु में परिवर्तित नही होते। यहां तक कि आदमी की मृत्यु हो जाती है, इसी लिए आज के समय में उंगलियों के निशान को आदमी की पहचान के महत्वपूर्ण सबूत के तौर पर स्वीकार किया जाता है। उंगलियों के निशान के विज्ञान को मानव की पहचान के लिये त्रुटी रहित प्रमाण के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
हालांकि यह एक महत्वपूर्ण बात है कि उंगलियों के निशान का यह गुण केवल कुछ समय पूर्व 19 वीं शताब्दी के अंत मे खोजा गया,उससे पहले लोग उंगलियों के निशान को साधारण रेखाओं की तरह देखते थे। जिनका कोई अर्थ या महत्व नही होता,
लेकिन पवित्र कुरान की आयतों में अल्लाह ने इसकी ध्यान दिलाया है, अल्लाहताला ने उंगलियों के पोरों की बात की है , कुरान के अवतरण के बाद किसी ने इसके विषय को गंभीरता से नहीं लिया परंतु कुरान की यह एक महत्वपूर्ण आयत है और आज के समय में इस आयत की विशेषता स्पष्ट हो गई!
उंगलियों के निशान के द्वारा आदमी की पहचान की तकनीक (AFS) की निश्चित्ता पिछले 25 वर्षों में बहुत से पुलिस विभाग द्वारा की गई है और इसे अब एक वैधता प्राप्त है। उंगलियों के निशान से आदमी को पहचानने की तकनीक के अतिरिक्त कोई दूसरी तकनीक आज के समय में इतनी प्रभावशाली नहीं है,आज फिंगर प्रिंट से आदमी की पहचान करना एक अंतरराष्ट्रीय स्वीकारीयता बन चुकी है,और पिछले 100वर्षों से इसे संवैधानिक भी माना जाता है।,
A.A. Moenssens ने अपनी पुस्तक Fingerprint Techniques में इसका विश्लेषण किया है कि हर विभिन्न व्यक्ति की उंगलियों के निशान भिन्न होते हैं।