चौपट कानून व्यवस्था ? एक मृतक आरोपी को तिरंगे में लपेट कर क्या शहीद का मर्तबा देना चाहते है? हे राम देश किस दिशा में जा रहा है?
रिपोर्टर,
लैब रिपोर्ट पर विश्वास करने वाले अंधभक्त ,डेंगू से हुई रवि की मौत के लिए डेंगू पर भारत सरकार के अस्पताल की रिपोर्ट पर बिलकुल भी विश्वास नही कर रहे है !
बताते चले कि डेंगू मलेरिया बुखार से बीमार होने व दिल्ली के अस्पताल में बीमारी से मरने की सज़ा बिसाहड़ा गांव के 55/60 अल्पसंख्यक परिवार भुगत रहे है?
गाली गलौच, मारपीट, व दंगे फ़साद में हत्या के भय के कारण बिसाहड़ा गांव में अपने घर को छोड़ कर 250 से ज्यादा महिलाएं, बुजुर्ग, युवा, छोटे छोटे मासूम बच्चे भूखे प्यासे लोग दर दर की ठोकरे खा रहे है ।
दादरी हत्याकांड के आरोपी की डेंगू से मृत्यु होने पर रवि के परिवार को 10 लाख रुपये देने की घोषणा सरकार ने की है ।धरने प्रदर्शन के दबाव में है सरकार।, हे राम देश कीस् दिशा में जा रहा है?
दादरी हत्याकाण्ड जिसकी वजह से इंसानियत शर्मसार हुई और पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हुई थी।
विश्व के अनेक देशों के बड़े बड़े बिजनेसमेन ने भारत में कम्पनी लगाने को मना कर के लाखों व्यक्तियों को रोजगार, नोकरी से दूर कर दिया था।
आज उसी दादरी हत्याकांड के एक हत्यारे की डेंगू बुखार से हुई मृत्यु पर उसके शव को तिरंगे से लपेटा गया !
मौजूदा दौर में इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है?
ये कैसा राष्ट्रवाद है जो एक हत्यारे को डेंगू बुखार से हुई मृत्यु पर फौजी के बराबर सम्मान दे रहा है। क्या देश की आज़ादी के लिए शहीद होने वालों ने इसी दिन के ख्वाब देखे थे ? क्या ये देश आज़ादी से अबतक बस इतना सा ही सफ़र तय कर पाया है ?
सेना में शहीद होने वाले फौजियों की अंतरात्मा खून के आंसू वह रही होगी?
जैसे क़ि एक भारतीय इंसान के हत्यारोपी रवि के डेंगू बुखार के कारण मृत शव पर तिरंगे को देख कर,।
सोचिये और शर्म महसूस कीजिये इन अंधभक्तो पर.
तिरंगे झंडे पर हक़ पुरे देश का हे इस बात के लिए कोई मना नही कर रहा है लेकिन देश के फौजियों को दिए जाने वाले मान सम्मान को छीन कर राजनैतिक फायदे के लिए एक हत्यारे के शव पर तिरंगा झंडा रखना पुरे देश की सेना व असली देश भक्तो को दुःख पहुँचा रहा है।
बेशर्मो बन्द करो ये गन्दी चुनावी राजनीति।
वाजेह हो कि झूठ का सहारा लेने वाले बेशर्म लोगो को शर्म आ जाये और मृतक के शव पर गन्दी राजनीति कर रहे लोगो की गन्दी चुनावी राजनीति
मृतक के भोले भाले परिवार व समस्त अमन पसंद देशवासियों को समझ में आ जाये।