गोगामेड़ी में कूड़ा कचरा व कीचड़ का आलम, मोदीजी के स्वच्छता अभियान की उड़ाई जा रही है धज्जियाँ?
रिपोर्टर,
गोगामेड़ी। राज्य की भाजपा सरकार एक तरफ जहां गोगामेड़ी में उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध लोक देवता गोगाजी के मन्दिर के जीर्णोंद्वार पर करोड़ों रूपये खर्च कर तिरूपति बालाजी जैसा बनाने पर जोर दे रही है, वहीं गोगाजी मेला क्षेत्र में मेला समाप्ति के बाद जगह जगह फैले कीचड़, कूड़ा-कचरा पॉलीथिन व डिस्पोजल सामान की सफाई करवाने में रूचि नहीं लेकर स्वच्छता व स्वच्छ भारत मिशन की भद्द पिटवा रही है।
गोगामेड़ी के एक महीने तक चले गोगाजी के मेले का करीब एक पखवाड़ा पहले समापन होने के बाद देवस्थान विभाग मन्दिर के आसपास के क्षेत्र में अगले मेला तक की अवधि के लिए दुकानों की अस्थायी निलामी कर करोड़ों रुपये जेब में डालकर वापिस लौट चुका है।
इस बार मेला अवधि के दौरान भयंकर रूप से चरमराई रही मेला क्षेत्र की सफाई व्यवस्था अब मेला समाप्ति के बाद भी सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
गोगाजी मन्दिर में अब भी श्रद्धालुओं का आना-जाना बना हुआ है, वहीं अनेक दुकानें भी संचालित है, परन्तु इसके बावजूद सफाई व्यवस्था जस की तस है।
मेला परिसर में मार्कण्डेय धर्मशाला व खटीक समाज धर्मशाला, सैन समाज धर्मशाला, जाट कुंड व धर्मशाला, कुम्हार कुंड व धर्मशाला, अस्थाई पुलिस थाने के नजदीक, गोगाजी मन्दिर के सामने दादाजी की कुटिया के आसपास व साईड में, मन्दिर के पास ही मनिहारी बाजार, मन्दिर के पिछवाड़े, देवस्थान विभाग की धर्मशाला और गौशाला के सामने व धार्मिक आस्था के गोगाजी पैनोरमा के सामने सहित अनेक स्थानों पर कूड़ा-कचरा, पॉलीथिन व प्लास्टिक डिस्पोजल सामान पसरा पड़ा है।
जबकि कई जगह मेला क्षेत्र में कुछ रास्तों पर पानी बिखर रहा है। गोगाजी मन्दिर के आस-पास व मेला क्षेत्र में फैला कूड़ा-कचरा ना केवल सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहा है, बल्कि स्वस्थ व स्वच्छ भारत मिशन की भी कलई खोल रहा है।
सवाल उठता है कि गोगामेड़ी मेला से करोड़ों रूपये की आय करने वाला देवस्थान विभाग अब मेला समाप्ति के बाद भी आखिर सफाई व्यवस्था पर ध्यान क्यों नही दे रहा है?
गोगाजी मन्दिर के जीर्णोंद्वार पर करोड़ों रूपये का बजट देने वाली राजस्थान की भाजपा सरकार यहां सफाई व स्वच्छता पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
अब देखना है कि 2 अक्टूबर गांधी जयंती से मोदीजी द्वारा शुरू हो रहे विशेष स्वच्छता अभियान यहां गोगामेड़ी में भी चलकर आयेगा या फिर मेले के दौरान मेला मजिस्ट्रेट डॉ. हरीतिमा द्वारा सफाई व्यवस्था पर की गई वाहवाही के भैंट चढ़ कर कागजी खानापूर्ति रह कर कचरे के ढेर में दबा दिया जायेगा?
यह कहना अभी मुमकिन है बाकी तो मोदीजी के स्वछता अभियान की पोल 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले स्वच्छता अभियान ही बयां कर देगा?