क्यों कर पूरे देश ने प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि बल्लभ भाई पटेल को सरदार माना ?
रिपोर्टर.
सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू को आमने सामने खड़ा करना अज्ञानता ।
आज भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बैरिस्टर, भारत रत्न से सम्मानित बल्लभ भाई पटेल (सरदार पटेल) का 143 वां जन्म दिन है। भारत सरकार द्वारा इसे राष्टीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
क्योंकि सरदार पटेल ने 565 रियासतों को भारत से जोड़ा था इसलिए उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता है ।
सरदार पटेल ने कानून की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद गोधरा, गुजरात मे वकालत शुरू की। शादी के कुछ ही वर्ष बाद उनकी पत्नि की मौत केंसर से हो गई।
36 वर्ष की आयु में इंग्लैंड जाकर इन्होंने पढ़ाई की तथा 36 महीने का कोर्स 30 महीने में पूरा करके अहमदाबाद में वकालत शुरू कर दी 1917 में पहली बार गोधरा में गांधी जी से मुलाकात हुई ।
चंपारण में गांधी जी के साथ रहे, खेड़ा में किसानों से सूखा पड़ने के बावजूद टेक्स वसूली के खिलाफ आंदोलन चलाकर सरकार से किसानों का एक वर्ष का टेक्स माफ कराने में सफलता हासिल की, जिसके चलते वे गुजरातियों का आकर्षण का केंद्र बनें।
1920 से 1945 तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
असहयोग आंदोलन के लिए उन्हें राज्य का दौरा करके 3 लाख सदस्य बनाये तथा 15 लाख रु एकत्रित किये।
गांधी जी के आव्हान पर देशी कपड़ो की होली जलाई तथा बेटी मणी बेटा दहया के साथ आजीवन खादी पहनने का संकल्प लिया।
चौरी चोरा में हिंसा के बाद आंदोलन को समाप्त करने की अपील का सरदार ने समर्थन किया ।
सन 1922,1924,1927 में अहमदाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष चुनें गए। राष्टवादी स्कूलों की मान्यता ओर शिक्षकों के मानदेय के लिए आंदोलन चलाया।
खेड़ा जिले में बाढ़ की तबाही के दौरान बड़े पैमाने पर राहत कार्य किये ।
1923 में भारतीय झंडे पर जब अंग्रेजों ने रोक लगाई, तब सरदार ने नागपुर में सत्याग्रह किया, सार्वजनिक तौर पर झंडा फहराया ।
आंदोलन के दबाब से अंग्रेजों को सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करना पड़ा ।
गुजरात मे शराब बंदी , छुआ छूत, जातिगत भेद भाव के खिलाफ आंदोलन चलाया।
1928 में अकाल की मार झेल रहें खेड़ा जिले में टेक्स माफी के लिए लंबा सत्याग्रह चलाया।
अंग्रेजों के दमन के बावजूद जब बारदौली में आन्दोलन विशेष तौर पर महिलाओं के द्धारा जारी रहा तब सरकार को झुकना पडा तथा टेक्स वृद्धि को वापस लेना पड़ा।
गांधी जी के दांड़ी नमक सत्याग्रह के दौरान सरदार पटेल की गिरफ्तारी हुई ।सतत् आन्दोलन के दबाब के चलते गांधी-इरविन पैक्ट हुआ ।
1931 के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये।
राउण्ड टेबिल की यह सफलता के बाद गांधी जी और पटेल को गिरफ्तार कर यरवदा जेल में रखा गया।
1934 और 1936 में हुई चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशीयों के चयन और आर्थिक मदद् करने की मुख्य जिम्मेादारी सरदार पटेल ने निभाई परंतु वे खुद चुनाव नहीं लड़े।
1936 के कांग्रेस अधिवेशन में जब नेहरू जी ने समाजवाद को कांग्रेस की मूल विचारधारा बताया तथा 1938 में सुभाषचंन्द्र बोस के अध्यक्ष चुने जाने के बाद सरदार पटेल ने कई सवाल खड़े किए ।
कांग्रेस के भीतर बहस के दौरान वे गांधी जी के सबसे बड़े पैरोकार के तौर पर उभरे।
द्धितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद गांधी जी द्धारा चलाये गये व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान 1940 में वे गिरफ्तार हुए तथा 9 महीने जेल में रहें 1942 में उन्होंने क्रिप्स मिशन का विरोध किया।
अग्रेंजो के खिलाफ राष्ट्र व्यापी आंदोलन छेड़ने के उद्देश्य से सरदार ने गांधी जी पर आरपार का संघर्ष शुरू करने के लिए दबाब डाला।
उन्होंंने यह तक कहा कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वे कांग्रेस से इस्तीफा दें देंगे ।
7 अगस्त 1942को ग्वालिया टेंक मुम्बई में उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दिया तथा अंहिसात्मक सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजों को खदेड़ने की अपील की ।
9अगस्त को सरदार पटेल संम्पूर्ण कांग्रेस वर्किग कमेटी के साथ गिरफ्तार कर लिये गये।
तीन वर्षो तक उन्हें अहमदनगर की जेल में रखा गया।
यही वह समय था जब डा. लोहिया, अच्युत पटवर्धन अरूणा आसफ अली के नेतृत्व में समाजवादियों ने भूमिगत आन्दोलन चलाया ,भारत छोड़ो आन्दोलन नाम समाजवादी नेता युसुफ मेहर अली द्धारा दिया गया था ।
जय प्रकाश नारायण 1942 के आंदोलन के समय जेल में थे लेकिन जेल से भागकर उन्होंने भूमिगत आन्दोलन का नेतृत्व किया।
1857 के बाद अंग्रेजों के खिलाफ यह सबसे बड़ी बगावत थी।
वाइसराय को खुद इंग्लेण्ड में विस्टन चर्चिल को केबल भेजकर यह सुचित किया था कि भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान 1लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इतिहासकारों की माने तो उस वक्त लगभग 50 हजार देशभक्तो मारे गये ।
जेपी और लोहिया भी गिरफ्तार कर लिये गए
जेल में उन्हें प्रताडि़त किया गया ।15 जून 1945 को सरदार पटेल रिहाकर दिये गये।
1946 में कांग्रेस की अध्यंक्षता हेतु 15 से 12 राज्यों की कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल का नाम प्रस्तावित किया।
3 राज्यों ने किसी का नाम नहीं भेजा लेकिन गांधी जी के हस्तक्षेप करने पर वे कांगेस अध्यक्ष नहीं बने।
जवाहर लाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया ।
16 मई 1946 को अग्रेंजो ने सत्ता के हस्तांरण के लिए भारत के विभाजन का प्रस्ताव रखा तथा 565 रियासतों के सामने भारत या पाकिस्तानन को चुनने या स्वतंत्र रहने का प्रस्ताव रखा। पहले कांग्रेस ने विरोध किया बाद में कांगेस ने स्वीकार कर लिया।
परिणाम स्वरूप वाइसराय लार्ड वेविल ने कांग्रेस को सरकार गठित करने के लिए आंमत्रित किया ।सरदार पटेल ग्रहमंत्री और सुचना ,प्रसारण मंत्री बनाये गये ।
3जुन 1947 को माउंटबैटन ने विभाजन का प्रस्ताव रखा जिसे गांधी जी ने अस्वीकार कर दिया लेकिन कांग्रेस ने स्वीकार किया ,अंतः गांधी जी को भी विभाजन स्वीकार करना पड़ा ,विभाजन के दौरान हुई हिंसा में 10 लाख से अधिक नागरिक मारे गये।
डेढ़ करोड़ शरणार्थी हो गये , सरदार पटेल ने हिंसा को रोकने का पूरी ताकत प्रयास किया। 6 मई 1947 से सरदार पटेल ने रियासतों के साथ बातचीत शुरू की,
उन्हें भारत के साथ जुड़ने के लिये तैयार किया सभी रियासतों को उन्होंने 15 अगस्त 1947 की अंतिम तारीख दे दी ।
जम्मू कश्मीर, जुनागढ़ और हैदराबाद के अलावा सभी रियासतें भारत के साथ विलय के लिए तैयार हो गईं ।
दबाब और फौज के इस्तेमाल से सभी रियासतों का सरदार पटेल ने भारत में विलय करा लिया।
संविधान सभा के गठन तथा डॉ. भीमराव अम्बेडकर को संविधान की डा्फ्टिंग कमेंटी का चैयरमेन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
सरदार पटेल ने अल्पसंख्यकों, आदिवासियों मूलभूत अधिकारों तथा प्रोविंसीएल कॉन्स्टिट्यूशन के चेयरमेन के तौर पर संविधान के बड़े हिस्से् को तैयार किया। आई.ए.एस .और आई.पी.एस. सेवाओं का गठन किया।
आजादी के बाद तमाम ऐसे मौके आये जब सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू की कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर राय अलग अलग रही , दोनो ने एक दूसरे की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायतें भी कीं। लेकिन कभी एक दूसरे से अलग नहीं हुए।
गांधी जी ने बार’-बार कहा कि आज़ाद देश को नेहरू और पटेल दोनों की जरूरत है।
गांधी जी की हत्या के कुछ मिनट पहले सरदार पटेल गांधी जी से मिले थे।
गांधी जी की मौत के 2 महीनें के भीतर सरदार पटेल को हार्ड अटैक आया ।
गांधी जी की हत्या को लेकर सरदार पटेल की जबरजस्त आलोचना हुई तब उन्होंने इस्तीफा देना चाहा लेकिन नेहरू जी और राजगोपालाचारी सहित कांग्रेस के दिग्जों ने इस्तीेफा नहीं देने दिया।
सरदार पटेल को नागपूर विश्वविघालय ,इलाहाबाद विश्वविघालय ,बनारस हिन्दु विश्वविघालय, ओस्मानिया विश्वविघालय तथा पंजाब विश्वविघालय द्धारा डॉक्टटरेट ऑफ लॉ की डिग्री से नवाजा गया। 15 दिसम्बयर 1950 को मुम्बई के विरला हाउस में सरदार पटेल की मौत हो गई ।
सरदार पटेल की अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री, राष्ट्पति और गवर्नर जनरल सहित 10 लाख देश वासी शामिल हुए ।
देश में तमाम लोग मानते है कि सरदार पटेल यदि प्रधानमंत्री बनाये गये होते तो बेहतर प्रधानमंत्री साबित होते ।
भले ही बल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री नहीं बन सके हो लेकिन देश ने सरदार और लौह पुरूष बल्लभ भाई पटेल ही माना प्रधानमंत्री को नहीं।
आज जब देश के प्रधानमंत्री सरदार पटेल का बड़ा कद साबित करने के लिए उनकी हज़ारों फ़ीट उॅची मुर्ति का अनावरण कर रहे है तब पूरे इलाकें के 75,000 से अधिक आदिवासियों ने चुल्हा बंद करने का निर्णय कर यह बतलाने का प्रयास किया है कि नरेन्द्र मोदी ने हजारों परिवारों, लाखों पेड़ों और दुनिया की सबसे पुरानी नर्मदा घाटी की संस्कृतिक विरासत को डुबोकर सरदार पटेल का कद छोटा करने की कोशिश्ा की है।
सरदार पटेल को जवाहरलाल नेहरू से बड़ा बताने वाले भूल जाते हैं कि कभी भी दोनो ने एक दूसरे को बड़ा या छोटा दिखाने की कोशिश नहीं की।
देश के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनो ने गांधी जी की राय को ही सर्वोच्चता दी। राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना।
सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू एकदूसरे के पूरक थे।
सरदार की पकड़ कांग्रेस पार्टी के संगठन और नौकरशाहों पर थी।
जवाहरलाल नेहरू देश में सर्वाधिक लोकप्रिय कांग्रेस के नेता थे।वैचारिक स्तर पर सरदार दक्षिणपंथी और जवाहरलाल नेहरू वाम की तरफ झुकाव रखने वाले नेता थे,लेकिन दोनों ही गाँधीजी के सबसे प्रिय थे।
गांधी जी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को प्रतिबंधित करने का काम दोनो ने मिलकर किया था।