क्या हिंदुस्तान की अवाम अंजाने भूत के डर की तरह ख़ौफ़ज़दा है?

आखिर क्यों ? आजकल हिन्दोस्तान में हर कोई अपने आपको गैर मुहाफिज क्यों मांनता है ? कोई मजहबी अकलियत होने के खौफ महसूस करता है, कोई जबानी अकलियत होने की वजह. कोई उत्तर हिन्दोस्तानी होने की वजह खोफजदा है, तो कोई जनूबी हिन्दोस्तानी होने की वजह से लोग भी डरे हुए हैं. ऊंची जाति को पिछड़ों से डर लगता है तो पिछड़े तो सताए हुए हैं ही. मुल्क का एक बड़ा तबका पाकिस्तान से डरा हुआ है तो अमरीका से भी डरने वालों की कमी नहीं है. हकीकत में हर हिन्दोस्तानी किसी-न-किसी जाने या अनजाने डर में जी रहा है.
आज़ादी से पहले इस डर को पैदा किया था विदेशी लुटेरों और राजाओं ने, फिर अंग्रेजों ने और आज़ादी के बाद इस खौफ को हमारे मजहबी सियासी रहनुमाओ ने खूब बढ़ाया और भुनाया है.। अनजाना खौफ़ उस भूत की तरह है जो न जाने कितने सौ सालों से हमें डरा रहा है लेकिन भूत होता है या नहीं ये किसी को नहीं पता और अब यही अनजाने डर को लीड़र हम पर राज करने के लिए हथियार बना चुके हैं. सच्चाई यह है कि हम क्यों खौफ़ज़दा हैं हमें नहीं मालूम. सच्चाई तो यह है कि न सिर्फ मुसलमान बल्कि हिंदू भी अनजाने खौफ से डरे हुए है , जिसकी वजह से गंगा जमुना तहजीब भाईचारा कौमी इतिहाद खत्म होने के कगार पर है जो हिन्दोस्तान की तरक्की और खुशहाली पर असर पड़ रहा है