क्या ये सच है कि मीडिया के मठाधीशों ने पत्रकारिता को मदारी का खेल समझ रखा है?

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रिपोर्टर.

सीबीआई ने NDTV के खिलाफ बैंक को 48 करोड़ का चूना लगाने के आरोप में धारा-420 धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश 120बी के तहत केस दर्ज किया है।

इस सिलसिले में प्रणय राय के घर पर सीबीआई ने छापा मारा है। प्रणय भी मीडिया के एक मठाधीश है।
सीबीआई कार्रवाई को मीडिया/लोकतंत्र पर हमला बताने वाले मीडिया मठाधीश एक ही गैंग के हैं।
किसी अन्य के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई करती है।
तो चैनल वाले खुद जज बन कर उस व्यकित को मुजरिम ठहरा देते।

अब चैनल प्रणय राय की खबर भी उसी तरीके से क्यों नहीं दिखा रहे?
इससे ही पता चलता कि चोर चोर मौसेरे भाई है।
मीडिया महाराक्षस बन चुका है। पत्रकारिकता की आड़ में अपना फायदा इनका मकसद है!

लोगों को भी इनकी असलियत पता चलनी चाहिए। CBI,ED,IT ईमानदारी और निष्पक्षता से जांच करें तो पिछले 25 साल में करोड़ोंपति बनें मीडिया के ज़्यादातर महाराक्षस जेल में होंगें !

लेकिन इतने सालों से अपने फ़ायदे के लिए पत्रकारिता जैसे आदर्श पेशे का भट्ठा बिठा रहे इन मठाधीशों का कुछ नहीं बिगड़ेगा​ क्योंकि कोई कांग्रेस का तो कोई भाजपा का पाला हुआ है। अब अंबानी भी पाल रहा है।
इनमें कोई अखबार/चैनल का मालिक बन गया तो कोई राज्यसभा पहुंच गया।

प्रणय के खिलाफ दूरदर्शन के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में सीबीआई ने 1998 में भी धारा 420 में केस दर्ज किया गया था। लेकिन सरकार के संरक्षण के चलते उसका कुछ नहीं बिगड़ा।

इन मठाधीशों को पत्रकार कहना पत्रकारिता का अपमान है।ये तो भांड है जिनकी चाटुकारिता से खुश हो कर राज नेता इनको पद्म श्री आदि भी दे देते हैं।
दिलचस्प है कि पद्म श्री भी शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए दिए गए हैं।

पक्षपात भेदभाव पूर्ण खबरें दिखा कर लोगों को गुमराह करने का ये मठाधीश पाप करते हैं इसलिए ये महाराक्षस हैं।

टाइम्स आफ इंडिया के मालिक अशोक जैन के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया था तब टाइम्स आफ इंडिया ने दबाव बनाने के लिए ईडी के खिलाफ खबरें छापने का अभियान शुरू कर दिया था।

तो यह है मीडिया के मठाधीशों का असली चरित्र। जागो लोगों जागो अपने विवेक का इस्तेमाल करो और आंख मूंद कर किसी भी चैनल/अखबार पर भरोसा मत करो।वह जमाना गया जब अखबार में छपी खबर पर आंख मूंद कर भरोसा किया जाता था।

नीरा राडिया मामले में बरखा दत्त ,वीर सिंघवी समेत कई मठाधीशों की असलियत उजागर हुई थी।

दीपक चौरसिया के खिलाफ सीबीआई में तो केस हैं ही दिल्ली छावनी में फौजियों से मारपीट करने का मामला चौरसिया पर दर्ज हुआ ।

जी न्यूज के सुधीर चौधरी और उसके मालिक सुभाष चन्द्र के खिलाफ तो 100 करोड़ की वसूली का मामला दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया है सुधीर तो जेल भी जा चुका है।

आरोपी सुभाष चन्द्र की किताब का विमोचन प्रधानमंत्री निवास पर करना और सुधीर को पुलिस सूरक्षा देना
मोदी की भूमिका पर सवालिया निशान लगाता है।
पंजाब केसरी के अश्विनी कुमार पर वजीर पुर में सरकारी जमीन कब्जा करने का आरोप है।

सरकारी इंजीनियर ने केस दर्ज कराया।अश्विनी के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के के पाल से संबंध थे।
इसलिए पाल ने तत्कालीन डीसीपी संजय सिंह और केशव पुरम थाने के एसएचओ को ही हटा दिया।

करीब तीन दशक पहले बहादुर शाह जफर मार्ग पर प्रेस एरिया में जमीन कब्जा करने का इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ था।।

चैनल का मालिक बन गया रजत शर्मा तो अब शान से अपनी गरीबी का किस्सा तो सुनाता ही है अरुण जेटली को भी ईमानदारी का प्रमाण पत्र देकर अपनी वफादारी दिखाता है।

मदारी की तरह चीख चीख कर पत्रकारिता का तमाशा बनाने वाले अर्णब गोस्वामी की पोल भी खुल चुकी है।
तहलका वाले तरुण तेजपाल की काली करतूत भी याद होगी ।

यह हाल है मीडिया का । Police,ED,CBI में जिन कथित पत्रकारों के खिलाफ केस हैं मोदी ईमानदार है तो कार्रवाई करके दिखाए।

अगर कार्रवाई नहीं की जाती तो जाहिर हो जाएगा कि सिर्फ कार्रवाई का डर दिखाकर कर मीडिया को अपना भोंपू बनाएं रखने की नीयत हैं ?

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