कितना फर्क है दोनो महा नेताओं में , कोई रोज 25से30km पैदल दौड़ लगा रहा तो कोई करोड़ों की विदेशी कार में संवार है?
कांग्रेस का
भारत जोड़ो मिशन शबाब पर है,
राहुल गांधी रोज़ 25-30 किमी पैदल चल रहे हैं और उधर नरेंद्र मोदी किराए की भीड़ बटोरकर विदेशी करोडो रुपिये वाली रेंज रोवर बुलेटप्रूफ गाड़ी में हाथ हिलाते चलते हैं?
सरकार और संविधान, तमाम सिस्टम उनके पीछे पैदल चलता है। भाड़े के लोग फूल बरसाते हैं।ऐसे में मोदी का अहंकार और बढ़ जाता है।
ये दो तस्वीरें हम रोज़ देख रहे हैं। लेकिन कभी इस बात पर बहस नहीं हो रही है कि भारत जैसे ग़रीब देश में जनता द्वारा चुना गया जिम्मेदार नेता कैसा होना चाहिए?
क्या वह जनता के बीच, उनसे जुड़कर चले, उन्हें गले लगाए, सुख-दुख जाने, मुद्दों और तकलीफ़ों को समझे?
या फिर दर्जनों सुरक्षाकर्मियों के घेरे में करोड़ों की विदेशी आलीशान गाड़ी में संवार हुए जनता को धकेलते, उन्हें बाड़े में ठूंसकर चले।
अपने यहां नेता और गुंडे की छवि लोगों के मन में एक जैसी है। रसूख, ताकत, दौलत और रुतबा- इन 4 गुणों के बिना न नेता और न गुंडा बना जा सकता है।
अगर राहुल गांधी इस देश की भावी सियासत का आदर्श मॉडल पेश कर रहे हैं तो हमें उस पर बात करनी चाहिए। उनकी अच्छाइयों को उजागर कर जनता जनार्दन तक लाना चाहिए ये काम देश की न्यूज कंपनी को करना चाहिए। जनता के लिए कौन कितना भला है या नही इसकी सच्चाईया आम जनता तक उजागर होना चाहिए। लेकिन आज की गोदी मीडिया ऐसा कुछ बिलकुल ही होने नही देगी। ये अपने देशवासियों की बाद नसीबी है?
एक नया मॉडल खड़ा करना चाहिए। नेता वही जो वोट न लूटे। राहुल गांधी की तरह सबका दिल जीते। बूढ़े जवान और तमाम लोगों के लिए उनकी साफ सुंदर छवि हो।आम लोगों जैसा दिखे। उनके साथ रच-बस जाए। उनसे दूर नहीं रहे। गले लगाए, ज़ख्मों पर मरहम मले।
राजनीति की गंगोत्री में पैसा, भ्रष्टाचार, और निरंकुशता की गंदगी ऊपर से नीचे आती है।
नेहरू जी , पूर्व प्रधान मंत्री महोदया इंदिरा गांधी जी,और स्वर्गीय राजीव गांधी तथा – गांधी जी परिवार ने इन सब से परहेज़ किया।देश की भलाई में अपने प्राणों की कुर्बानी दे डाली है।
याद कीजिये ऐसे महान नेताओं को,और जरूरी है इस अधिनायकवादी लोगों के जीवनी को अपनाने और रास्तों को बदलने की।