कहीं ऐसा न हो कि ये कुम्हारे की बेटी धूप में जलती रहे और दीवाली मेंआप हर घर में चाईना के दीये ले आएँ !
रिपोर्टर.
जमाने को सजाने के लिए कुम्हार को कितनी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
मगर यहाँ लड़ाई सबके हक की तो जरूर लड़ी जाती है,लेकिन इन कुम्हारो को तो सरकार भूल ही गयी है!
या फिर इसपर चाइना का असर पड़ा है !
एक समय था कि कुम्हार के बिना जिंदगी जीना अधूरा सा लगता था और दीपावली की तैयारी करने में सारा घर लग जाता था कि इस महीने कुछ मेहनत कर कमा ले ताकि 11 महीने फीर बैठकर खाना ही है।
इसके अलावा और कोई चारा नही है।मगर बात तो यह हैइन बेचारो को तो मिट्टी भी अब आसानी से नही मिलती की इनकी कमाई के जरूरतों को भी अपना पूरा कर सके।
ऐसे महंगाई ने इन कुम्हारो की जिंदगी को रुला डाला।
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री बेटी बचाव व बेटी पढाव की बात करते तो जरूर है!
लेकिनशायद ही कोई भी पार्टी का कार्यकर्ता इनकी मेहनत को अपने बड़े नेताओं के पास जाकर इनके दर्द की दास्तां सुनाए तो शायद इनकी ज़िन्दगी बदल सकता है !