कठुआ की आठ साल की मासूम के साथ हुई गैंग रेप की घटना में शामिल भेड़िये कतई इंसान कहने के लायक नही !
रिपोर्टर.
घटना संबंधित पुलिस द्वारा फ़ाइल की गई।
चार्जशीट को पढ़ कर अगर आप की आंखों में आंसू और अपराधी के प्रति जाति धर्म से ऊपर उठ कर गुस्सा और नफरत का उबाल नही आया तो शायद आप इंसान नही हैं।
चार्जशीट के अनुसार आठ साल की लड़की के पिता मोहम्मद यूसुफ ने 12 जनवरी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई की 10 जनवरी 12.30 बजे के लगभग घोड़ों को चराने के लिए गयी उसकी बेटी वापस नही लौटी है।
एक Fir दर्ज की जाती है और संजी राम के नाबालिग भतीजे को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
चार्जशीट के अनुसार पूरी घटना का प्लान संजी राम का बनाया हुआ ही है।
जिसमे उसने अलग अलग लोगों को अलग अलग काम सौंपे।
अभी तक घटना से जुड़े कई लोगों को गिरिफ्तार किया जा चुका है।
चार्जशीट के अनुसार 7 जनवरी को दीपक अपने मित्र विक्रम के साथ कोटाह मोड़ पर स्थित बिट्टू की मेडिकल दुकान से अपने अंकल की दवाई का पर्चा दिखा कर Epitril नामक दवा की दस गोलियां ये कहते खरीदता है कि उसके अंकल को मानसिक परेशानी है।
हालांकि पुर्जे पर लिखी दवाई नही होने के कारण बिट्टू उसे epitril दवा देता है।
उसी दिन संजी राम अपने नाबालिग भतीजे को लड़की का अपहरण करने के लिए कहता है, जो अक्सर अपने घोड़ों को चराने के लिए उसके घर के पिछवाड़े के जंगलों में आया करती थी।
वो नाबालिक लड़का संजी राम के बनाये प्लान को अपने एक मित्र मन्नू को बता कर उससे मदद के लिए कहता है।
10 तारीख को वो नाबालिग लड़का उस लड़की को देखता है जो अपने घोड़ों के बारे में पूछ रही होती है।
लड़का उसे कहता है कि उसने घोड़ों को जंगल मे देखा है और उसे जंगल के अंदर ले जाता है।
जंगल मे खतरा भांप कर लड़की भागने की कोशिश करती है।
तो लड़का अपने साथी मन्नू के साथ उसे गर्दन से पकड़ कर जमीन पर पटक देता है।
लड़की बेहोश हो जाती है। वो लड़का और उसका साथी उससे रेप करते हैं।
फिर उसे उठा कर मंदिर में एक टेबल के नीचे छिपा देते हैं।
दूसरे दिन लड़की का पिता वहां भी पहुंचता है और संजी राम से पूछता है वो कहता है कि देखो कहीं वो अपने रिश्तेदार के घर ना चली गयी हो।
जब की ठीक उसी वक्त लड़की कमरे में होती है जिसे बाहर से ताला मार कर रखा गया है।
उसी दिन उस कमरे का ताला खोल कर लड़की को जबरदस्ती नशे की दवाई खिलाई जाती है।
11 तारीख को नाबालिग लड़का अपने मित्र विशाल को फोन कर लड़की के अपहरण की बात बताता है और उसे मजे लेने के लिए जल्दी मेरठ से वापस आने के लिए कहता है।
12 तारिख को विशाल सुबह छह बजे पहुंच जाता है।
8.30 बजे लड़का एक बार फिर मंदिर का दरवाजा खोल कर अंदर भूखे पेट बेहोश पड़ी लड़की को 3 नशे की गोलियां जबरदस्ती खिलाता है।
तब तक हीरानगर पुलिस स्टेशन की पुलिस पार्टी जिसमे घटना का अपराधी पुलिस वाला दीपक खजुरिया भी शामिल रहता है अपने एक साथी के साथ लड़की के पिता के घर भी पहुंचता है।
इधर उसने लड़के को हिदायत दे रखी थी कि वो समय समय पर लड़की को नशे की गोलियां देता रहे।
13 तारीख को विशाल , नाबालिग और राम फिर मंदिर पहुंचते हैं। जहां नाबालिग और विशाल उसके साथ रेप करते हैं।
राम कहता है कि बहुत दिन हो गए अब लड़की को खत्म कर जंगल मे फेंक देना चाहिए।
वो नाबालिक और उसके सारे साथी लड़की को देवस्थान से निकाल नजदीक की एक पुलिया के पास मारने के लिए ले जाते हैं।
वहां दीपक खाजूरिया कहता है कि थोड़ा रुको उसे मारने से पहले वो एक बार और रेप करना चाहता है।
रेप करने के बाद खाजूरिया अपनी बायीं जांघ पर लड़की का सर रख कर दोनो हाथो से उसके गले को दबा कर उसे मारने की कोशिश करता है लेकिन सफल नही हो पाता।
तब वो नाबालिक लड़का लड़की की पीठ को अपने घुटने से दबा कर लड़की के गले को चुन्नी से लपेट कर दोनों तरफ से खींच कर उसे मार देता है।
लेकिन फिर भी अपना संदेह दूर करने के लिए लड़की मरी है या नही, उसके सर पर दो बार पत्थर से वार किया जाता है।
लड़की की लाश को उठा कर फिर प्रार्थना हॉल में ले जाया जाता है, क्योंकि उसकी लाश को दूर ले जाने के लिए वो कोई वाहन का बंदोबस्त नही कर पाते।
आखिर 15 तारीख को संजी राम दूसरे अपराधी साथियों को लड़की की लाश जंगल मे फेंकने के लिए कहता है।
इस शर्मनाक घटना का एक दुखद पहलू ये भी हैं कि इस घटना को केवल इस लिए अंजाम दिया जाता है कि घुमक्कड़ बखरवाल जाति के मुस्लिम लोगों को रसना गाँव से भगाया जा सके।लेकिन इससे भी बड़ी हमारे लिए शर्म की बात ये है कि आठ साल की मासूम लड़की के रेप को भी हिन्दू मुस्लिम रंग देने की कोशिश की जाती है।
और गिरिफ्तार अपराधी के समर्थन में बकायदा जुलूस भी निकाला जाता है। जिसमे दो विधायक भी शामिल होते हैं।