आत्महत्या या नृशंस हत्या ? आखिर क्या है DM मुकेश पांडे की खुदकुशी के राज़ ? जाने एक कड़वा सच !

रिपोर्टर.
मीडिया किस आधार पर बक्सर के DM मुकेश पांडे की गाजियाबाद से कुछ दूर रेलवे ट्रैक पर दु:खद मृत्यु को आत्महत्या बता रही है ?
आखिर बिना निष्पक्ष जांच हुये मीडिया क्यों एक IAS अधिकारी की नृशंस मृत्यु को आत्महत्या का रंग देने में लगी है?
आपको क्या लगता है कि एक टॉप रैंक का अधिकारी जो DM के पद पर बैठा वो इतना कमज़ोर होगा किआसानी से आत्महत्या कर लेगा ?
क्या ऐसा नहीं संभव है कि DM मुकेश पांडे की पहले हत्या की गई हो और बाद में हत्यारों ने उन्हें रेलवे ट्रैक पर डाल दिया हो?
जिस मैसेज का ज़िक्र मीडिया कर रही है कि उन्होंने दिल्ली के पिकेडली होटल से किसी को मैसेज किया था कि ‘वो होटल के दसवे माले से कूद कर अपनी जान देने वाले हैं और वो बहुत निराश हैं और मानवता से उनका विश्वास उठ चुका है’ क्या ये मैसेज उनके हत्यारों द्वारा उनकी मृत्यु के पश्चात नहीं किया जा सकता?
मोटी सी बुद्धि लगाये आप सभी लोग कि अगर DM साहब को आत्महत्या करनी ही थी तो वो अपना सुसाईड नोट दिल्ली के लीला पैलेस होटल में Nike के बैग में रूम नंबर 742 में ही क्यों रख कर आये ?
आमतौर पर आत्महत्या करने वाला व्यक्ति सुसाईड नोट अपने साथ रखता है लेकिन मीडिया ने इस पर कोई विचार नहीं किया ।
और जज वकील बन कर DM की अप्राकृतिक मृत्यु को आत्महत्या बता डाला!
हो सकता है मैं गलत हूँ लेकिन मैं सही भी हो सकता हूँ क्योंकि संभावना ऐसी चीज़ है जिसको आप नकार नहीं सकते ।
लेकिन हमारी ग्लोबल मीडिया ने संभावनाओं को तो जैसे त्याग ही दिया है!
अंत में मेरा अभी भी यही मानना है कि एक IAS रैंक का अधिकारी जो कि एक जिले का कलेक्टर हो वो ऐसा कायरतापूर्ण कृत्य कर ही नहीं सकता !
क्योंकि एक कलेक्टर की हैसियत क्या होती है ये हम आप बखूबी जानते हैं!
मैने यहाँ पर केवल संभावनाओं को व्यक्त किया है जो कि मीडिया की रिपोर्टिंग में सिरे से गायब है !