अस्मिता की जंग लड़ रहे कन्हान इलाके के लिए जगी उम्मीद की नई किरनकंगन बचाओ मंच की दिल्ली पहुंची फाइल

जुन्नारदेव से

तकीम अहमद ज़िला ब्यूरो

राजनीति का चक्रव्यूह

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे कन्हान क्षेत्र के लिए उम्मीद की नई आँस

कन्हान बचाओ मंच की दिल्ली पहुंची फाइल

पांढुरना के आदिवासी नेता प्रकाश ऊईके ने की नई पहल

जुन्नारदेव का दुर्भाग्य- “जख्मों पर अपनों ने छिड़का नमक, पर गैरों ने लगाया मरहम

जुन्नारदेव की स्वार्थपरक व दिशाहीन राजनीति पर पांढुर्ना के नेता का तमाचा

जुन्नारदेव/पांढुरना-
कांग्रेस और भाजपा की स्वार्थपरक, दिशाहीन एवं लक्ष्यविहीन राजनीति की महाभारत के चक्रव्यूह में अभिमन्यु की तरह फंसा हुआ कन्हान कोयलॉंचल अपने जीवन की अंतिम सांस ले रहा है। जहां कभी एक दौर में अपनी प्रत्येक आमसभाओं में इस कन्हान कोयलॉंचल के भविष्य के संदर्भ का उल्लेख करते हुए इसकी जमीन मे दबे हुए कोयले के अंतिम टुकड़े तक उसे बंद नहीं होने की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जिले के कद्दावर कांग्रेस नेता कमलनाथ अब इस मुद्दे से मुंह चुराते नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इस आदिवासी अंचल में विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगने पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा राज्य एवं केंद्र सरकार के पर्यावरण विभाग की एनओसी की बात कर अब उससे भी मुकरते नजर आ गए।

प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव की इसी दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना का अब परिणाम यह है कि यह क्षेत्र अब अपने उजाड़पन और वीरानगी की राह पर चल पड़ा है। स्थानीय जनप्रतिनिधिगणो एवं राजनेताओं की निजी स्वार्थपरक राजनीति तथा लक्ष्यविहीन व दिशाहीन राजनीति को आईना दिखाते हुए पांढुर्णा से चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता प्रकाश उईके ने एक नई पहल की है। बीते दिवस इन्होंने अपने दिल्ली दौरे के दौरान कन्हान बचाओ मंच के द्वारा किए गए समस्त आंदोलन एवं प्रयासों की फाइल को दिल्ली स्थित भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय में पहुंचाया है। यहां पर भाजपा के कार्यालय मंत्री श्री महेंद्र पांडे से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस क्षेत्र के कोयला उद्योग को षडयंत्रपूर्वक समय पूर्व ही समाप्त कर दिए जाने की बात भी रखी है।

उन्होंने यहां पर इस क्षेत्र के भूगर्भ में हजारों टन कोयला होने के बावजूद कोयलांचल के खत्म होते अस्तित्व के संरक्षण हेतु पार्टी स्तर पर प्रयास करते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं कोयला एवं खान मंत्रालय में इस क्षेत्र की लंबित एनओसी जल्द प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है । संवाददाता को टेलीफोन पर जानकारी देते हुए भाजपा नेता प्रकाश उईके के द्वारा बताया गया है कि आदिवासी बाहुल्य जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण किया जाना भी उनके अपने लिए अहम बात है। इस विधानसभा के लगभग 60 फ़ीसदी से अधिक आदिवासी निवासियों व अन्य जनता के प्रति एक आदिवासी होने के नाते मेरी भी प्रतिबद्धता है।

जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र के निष्पक्ष व सर्वदलीय संगठन कन्हान बचाओ मंच के द्वारा इस क्षेत्र के अस्तित्व के लिए किए जा रहे प्रयासों का संज्ञान होने पर इस मुद्दे को उसके नियत स्थान पर पहुंचाना मेरी पहली प्राथमिकता है। आगामी 18 फरवरी को वह एक बार फिर दिल्ली पहुंचकर कन्हान क्षेत्र के डूबते अस्तित्व के संदर्भ में प्रयास करते हुए वह संबंधित मंत्रालयों के सचिव व मंत्री से निजी भेंट कर इस क्षेत्र की जनता की आवाज रखेंगे।

आज के अपने इस दौरे में उन्होंने जुन्नारदेव विधानसभा के अस्तित्व से जुड़ी इस फाइल को देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में पहुंचा दिया है। आगामी 18 फरवरी को अपने अगले दौरे में वह इस मुद्दे से जुड़े भारत सरकार के दोनों विभाग मसलन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग एवं कोयला खान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं मंत्रियों से मिलकर इस समस्या का त्वरित निदान किए जाने की प्रार्थना करेंगे। इस आदिवासी अंचल के आर्थिक जीवनदायनी कोयलांचल की महती समस्या को दिल्ली में पहुंच कर इसका संज्ञान लिए जाने के भाजपा नेता प्रकाश उइके के इस प्रयास को स्थानीय जनप्रतिनिधिगणों एवं राजनीतिक राजनेताओं की स्वार्थपरक राजनीति पर करारा तमाचा के रूप में देखा जा रहा है। देखना है कि इस मामले में अब आगे क्या सार्थक परिणाम आते हैं।

कोयले के नाम पर छल की “राज”नीति

सतपुड़ा की आसमान छूती सुरम्य वादियों की गहराई में कोयले के रूप में यह काला हीरा की एक बड़ी अकूत खनिज संपदा विद्यमान है। देश के उद्योगों और बिजली घरों को इसकी लगातार आवश्यकता रहती है। कन्हान कोयलांचल में सर्वप्रथम सन 1935 के दौरान राखीकोल और कुटुंबदेव में त्रिवेदी ब्रदर्स और शुक्ला ब्रदर्स के द्वारा इन कोयला खानों की शुरुआत कर दी गई थी। यहां की कोयला खानों का इतिहास निजी खनन कंपनियां शॉ-वालेस, खंभाटा, डीपीआर कासम जैसी निजी कंपनियों का रहा है, लेकिन सन 1973 में कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण कर दिए जाने के बाद स्थितियां बदल गई थी और कन्हान कोयला आंचल का उदय हुआ था। सन 1980 में यहां पर लगभग 41 से अधिक कोयला खानों का जाल बिछा हुआ था, लेकिन सन 1980 में कोलकाता के उद्योगपति कमलनाथ के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद बन जाने के बाद यदि तीन या चार नई कोयला खदानों को खुलने के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो कन्हान कोयलांचल की सभी खदानें लगातार बंद होती गई हैं।

इनके ही कार्यकाल में जुन्नारदेव नगर से सटे चिखलमऊ और सुकरी क्षेत्र की कोयला खदानों के बंद हो जाने से जुन्नारदेव के उजड़ने की शुरुआत हो गई थी, दरअसल 1936 में जुन्नारदेव में इसी काले हीरे के परिवहन की आवश्यकता होने पर जुन्नारदेव रेलवे स्टेशन का निर्माण भी किया गया था, लेकिन तत्कालीन सांसद और केंद्र में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ ने अपने प्रत्येक भाषण में यहां के नौजवान, किसान की चिंता करते हुए लगातार इस कोयलांचल की धरती में छिपे कोयला के एक-एक टुकड़े को बाहर निकालने के पहले बंद नहीं किए जाने का दम्भ भरते आए थे।

लेकिन आज परिस्थितियां उलट होती दिख रही हैं। यह वही कमलनाथ है जो अब इन कोयला खदानों के संदर्भ में बात करने से भी दूरी बना रहे हैं। जुन्नारदेव दमुआ का दुर्भाग्य यह रहा है कि जहां एक और कांग्रेस के द्वारा क्षेत्र को छला गया है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के द्वारा भी इस क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिहाज से कोई कार्य नहीं किया गया है, जिसके चलते जुन्नारदेव दमुआ क्षेत्र अब वीरानगी और उजाड़पन की ओर अग्रसर हो चला है। राज्य और केंद्र में बीते दस वर्षों से भाजपा की डबल इंजन की यह सरकार जुन्नारदेव के कोयला उद्योग के मामले में फेल होती दिख रही है। दोनों ही सरकारों के द्वारा विधानसभा चुनाव के पहले टांड़सी भूमिगत खदान और मोआरी खदान के संदर्भ में एनओसी देने की बात कही गई थी, लेकिन यह बातें चुनाव के उपरांत खोखले आश्वासन ही साबित हुई है।

कांग्रेस और भाजपा के द्वारा लगातार इस क्षेत्र में अपनी राजनीतिक स्वार्थ की रोटियां सेंके जाने के कारण आज यहां का नौजवान, किसान, व्यापारी और आमजन हताश और परेशान हो चला है। हालात बद से बदतर होते दिख रहे हैं। लोग पलायन करने पर विवश है। काम धंधे बंद होते दिख रहे हैं। निराशा का माहौल घर कर रहा है। युवा व्यापारी मनीष (बंटी) साहूऔर उनके सहयोगियों के नेतृत्व में कन्हान बचाओ मंच
एवं
प्रकाश उईके की यह पहला कितना रंग लाएगी….. यह भी देखने की बात होगी। तब ऐसी स्थिति में अब धुंधलाते भविष्य में एक नई किरण का इंतजार स्थानीय रहवासियों को है। अभी भी देखना है कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा हुआ है। यह आने वाला वक्त बता देगा।

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