अपने पिता की कैफियत एक्सप्रेस हादसे की फोन पर कैफियत सुन जोर से रोे रोकर पापा.पापा.चिल्लाई बिटिया ,जो आंखरी थी उसकी सांसे ?

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रिपोर्टर.

पापा को चोट लगी है, यह सुनते ही पांच साल की ऋद्धिमा की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

पापा..पापा कहकर रोना शुरू किया तो फिर थमी ही नहीं।
घर वालों ने लाख दिलासा दिलाया कि पापा ठीक हैं, मासूम का दिल नहीं माना।

रोना तब बंद हुआ जब मासूम की सांस थम गई और घायल पिता को दे गई जिंदगी भर का दर्द!

अब यही कसक पिता के मन में उठ रही है कि बिटिया को छोड़कर रोजी की तलाश में घर से निकले ही क्यों?
आजमगढ़ निवासी रामसुधार कैफियत एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे।

हादसे में घायल होने के बाद औरैया जिला अस्पताल में भर्ती रामसुधार ने बताया कि इकलौती बेटी थी ऋद्धिमा।
उनका साथ पल भर को नहीं छोड़ती थी। दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे।
मंगलवार को घर से दिल्ली के लिए निकले तो कलेजा मुंह को आ रहा था।

बार-बार मासूम का चेहरा सामने आ रहा था।
गृहस्थी की गाड़ी खींचने के लिए दिल्ली जाने वाली गाड़ी पर सवार हुए तब भी बेटी की ही याद में खोए रहे।

कैफियत एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई, तो उन्होंने घर पर फोन किया।
रात में पत्नी के मोबाइल की घंटी बजी तो बिटिया भी उठकर बैठ गई।

पिता के घायल होने की सूचना मिलते ही वह जोर-जोर से रोने लगी।
पत्नी की भी आंखें नम थीं, मगर बेटी को चुप कराने का प्रयास कर रही थी।

ऋद्धिमा थी कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी।
इस पर सूचना देकर रामसुधार ने फोन काट दिया।
इसके थोड़ी देर बाद ही उनके मोबाइल की घंटी बजी।

घर से सूचना आई थी कि रोते-रोते बिटिया बहुत दूर चली गई।अब वह इस दुनिया मे नही रही! अब रोने की बारी सिर्फ रामसुधार की है जो बदस्तूर जारी है !

 

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