अपने पड़ोसी पाकिस्तान से ज्यादातर दोस्ती निभाने वाले अपने ही देश के कुछ बड़े नेताओ को कैसे भुला सकेंगे?
पाकिस्तान से सबसे ज्यादा याराना तो आपका है..
बिन बुलाए दावत उड़ाने जाएं आप।
जिन्ना की मजार पर मत्था टेकें आप
ISI एजेंट को बिरयानी खिलाएं आप।फिर भी दूसरों पर देशभक्ति झाड़ें आप..
वाह भई वाह भई ।
फटाफट क्रिकेट के विश्व विजेता की दौड़ से भारत की टीम बाहर हो गई है। सिरमौर के लिए आखिरी भिडंत इंगलिस्तान और पाकिस्तान के बीच होनी थी सो
कल रविवार को हो गई है।
वैसे तो खेल को खेल की तरह ही लेना चाहिए लेकिन आजकल राष्ट्रवाद के जूड़ी ताप में सुलगते लोगों ने क्रिकेट में हार जीत को भी देशप्रेम, देशभक्ति, भारत माता के सम्मान से जोड़ दिया है।
यही वजह है फाइनल मुकाबले में भारतीय खेल प्रेमी किस टीम (देश) के साथ होंगे यह मुद्दा भी जेरे बहस है।
भारतीय उपमहाद्वीप का अपना पड़ोसी मुल्क होने के कारण कुछ लोग पाकिस्तान के लिए दुआ करने की बात कर रहे हैं। ऐसे लोगों को ट्रोल किया जा रहा है।
आइए ज़रा जांच लेते हैं कि असलियत क्या है.
असलियत तो ये है कि जो लोग दूसरों पर सवाल उठा रहे हैं पाकिस्तान से सबसे ज्यादा याराना तो उन्हीं का है।
जरा याद कीजिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में नवाज़ शरीफ़ आए थे।
याद कीजिए कि नरेंद्र मोदी खुद बिना बुलाए नवाज शरीफ़ की नातिन की शादी में लाहौर पहुंच गए थे।
भूलिए मत कि दस साल PM रहने के दौर में डॉ मनमोहन सिंह एक बार भी पाकिस्तान नहीं गए जबकि उनकी गर्भनाल पाकिस्तान में गढ़ी है।)
याद कीजिए कि लालकृष्ण आडवाणी मुहम्मद अली जिन्ना की मजार पर मत्था टेकने पहुंचे थे और जिन्ना की शान में कसीदे काढ़े थे।
जसवंत सिंह ने तो जिन्ना पर किताब भी लिखी है। वैसे क़िताब लिखना अच्छी बात है।
पठानकोट पर आतंकवादी हमले की जांच के लिए जो टीम पाकिस्तान से आई थी उसमें आईएसआई का एजेंट शामिल था।
ऐसा पहली बार हुआ कि जिस ISI पर भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप खुद सरकार ही लगाती है उसके अफ़सर को हमारे सैन्य ठिकानों तक आने की इजाजत दी गई।
लाहौर तक बस लेकर जाने वाले आप। हालांकि यह अच्छा कदम था।
याद है श्री श्री रवि शंकर के यमुना किनारे समागम में पाकिस्तान जिंदाबाद पर आपके केंद्रीय मंत्री घुग्घू बने खड़े थे।
याद कीजिए कि 1996 में पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज़ा दिया गया तब सरकार किसकी थी?
लेकिन पाकिस्तान ने भारत को कभी मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा नहीं दिया।
पुलवामा हमले के बाद यह सरकार ने यह दर्जा वापस लेने की घोषणा की थी।
आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच अरबों डॉलर का आयात निर्यात होता है।
देशी जेम्स बॉन्ड के सुपुत्र की कंपनी का पाकिस्तान के साथ बाकायदा कारोबारी रिश्ते हैं।
कंधार विमान अपहरण की फिरौती के तौर पर दुर्दांत आतंकवादिओं को छोड़ने हवाई जहाज से कौन गया था यह भी तो याद कीजिए। उस विमान में करोड़ नोटों से भरे काले काले सूटकेस थे यह भी आप भूले तो नहीं होंगे.!
याद करते जाइए
बहुत लंबी फेहरिस्त है ये बाक़ी जो आपको याद आता जाए वो जोड़ लीजिए।
हां हर बार युद्ध में हमारे हाथों चारों खाने चित्त होने वाला पाकिस्तान।
एक बात और है कि
आप तो वसुदैव कुटुम्बकम का राग अलापने वाले हैं।
और पाकिस्तान तो अभी सात दशक पहले आपका अपना हिस्सा था..आपके अखंड भारत के नक्शे में भी पाकिस्तान है ही।
अखंड आर्यवर्त भी पाकिस्तान के बिना कैसे पूरा हो सकता है।
सबसे निकट पड़ोसी भी है। अपने ही महाद्वीप, उपमहाद्वीप का हिस्सा है। सारी में आपके साथ बैठता है।
संघ सुप्रीमो भी तो कह चुके हैं…पाकिस्तान हमारा भाई है।
और इंग्लिस्तान.
डेढ़ सौ साल हमें गुलामी की जंजीरों में बांध कर रखने वाला देश।
हमारी अपार संपदा को लूट कर अपना घर भरने वाला देश।
बीसवीं सदी के भयावह अकाल में हमें भुखमरी के तड़पा तड़पा कर मारने वाला देश।
आज़ादी के आंदोलन में करोड़ों लोगों पर अंतहीन ज़ुल्म ढाने वाला देश।
लाखों लोगों की मौत का जिम्मेदार देश।
वैसे भी तो सात समंदर पार है इंगलिस्तान।
इसके बावजूद खेल को खेल रहने दीजिए…
जिसे जिस देश का खेल, खिलाड़ी अच्छे लगें उसे उसके लिए ताली बजाने दीजिए..उसे देशभक्ति के पैमाने पर मत कसिए।
खेल के नाम पर नफ़रत मत परोसिए। ये नफ़रत आपको कहीं का नहीं छोड़ेगी।
बाक़ी मर्ज़ी है आपकी. क्योंकि देश है आपका।