सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक लेक्चर में मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणी की है क्या कह दिया ? जाने तफसील से !

रिपोर्टर:-

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, ‘दुःख की बात है कि आज देश में असहमति को देशद्रोह समझा जा रहा है. असहमति की आवाज को देश विरोधी या लोकतंत्र विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों पर चोट करता है।
अगर आपका अलग राय रखते है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप देशद्रोही है या राष्ट्र के प्रति सम्मान का भाव नहीं रखते।
सरकार और देश दोनों अलग है. सरकार का विरोध करना आपको देश के खिलाफ खड़ा नहीं करता।
जस्टिस दीपक गुप्ता (Justice Deepak Gupta) ने आगे कहा, ‘हम देखते है कि कई बार वकील किसी का केस लेने से मना कर देते हैं कि वह देशद्रोही (Treason) है।
बार एसोसिएशन इस पर अपना रिजॉल्यूशन पास करते हैं।
.ये गलत है. आप कानूनी मदद देने से मना नहीं कर सकते.।
SC के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा- असहमति की आवाज को माना जा रहा देशद्रोह।
आवाज को दबाने की कोशिश करेंगे तो ये अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला होगा।
उन्होंने आगे कहा, कोई भी संस्थान आलोचना से परे नहीं है, फिर चाहे वो न्यायपालिका हो, आर्म्ड फोर्सेज हो।
असहमति के अधिकार में ही आलोचना का अधिकार भी निहित है
अगर हम असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश करेंगे तो ये अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला होगा।
लोग को एक जगह जमा हो कर विरोध करने का अधिकार है. लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से. सरकार ऐसे आंदोलन को यूं ही दबा नहीं सकती.

‘लोकतंत्र में असहमति की आजादी होनी चाहिए’

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि एक स्वतंत्र और निडर न्यायपालिका के बिना क़ानून का शासन नहीं हो सकता. लोकतंत्र में असहमति की आजादी होनी चाहिए. आपसी बातचीत से हम बेहतरीन देश बना सकते है।
हाल के दिनों में विरोध करने वाले लोगों को देशद्रोही बता दिया गया. बहुसंख्यकवाद लोकतंत्र के खिलाफ ह।.

‘सरकार हमेशा सही नहीं होती’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर किसी पार्टी को 51 प्रतिशत वोट मिलता है इसका मतलब ये नहीं है कि बाकी 49 फीसदी लोग पांच साल तक कुछ नहीं कहेंगे. लोकतंत्र 100 फीसदी लोगों के लिए होती है।

सरकार सबके लिए है इसलिए हर किसी को लोकतंत्र में अपनी भूमिका का अधिकार है !

 

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