महमूद गजनवी ने भारत पर जितनी बार आक्रमण किया पर उसे हर बार परास्त होकर भागना पड़ा, पढ़िए एक काला सच

हम पढ़ चुके है कि महमूद ग़ज़नवी ने 17 बार भारत पर आक्रमण किया था और हर बार उसे बुरी तरह परास्त होकर भागना पड़ा। पता नहीं उसे 17 बार आक्रमण करने का मौक़ा ही क्यों दिया गया? ज़्यादा से ज़्यादा दो-चार बार छोड़ देते, फिर काम पक्का कर देते ! सच तो हमने कभी पढ़ा ही नहीं क्योंकि सच तो बहुत ढूंढना पड़ता है बड़ी मेहनत से तलाशना पड़ता है। जबकि झूठ तो हर वक़्त हमारे सामने ही परोसा जाता रहा है।

दरअसल महमूद ग़ज़नवी एक लूट की फितरत रखने वाला शासक था। जब भी ज़रुरत होती या देखता कि अब काफी माल जमा हो गया होगा, वो भारत आता और लूट कर चला जाता। वो कहीं और क़ब्ज़ा करने का ख्वाहिशमंद ही नहीं था। उनके वालिद सुबुक्तगीन ने मरने से पहले कई लड़ाइयां लड़ते हुए अपने राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान, खुरासान, बल्ख और पश्चिम-उत्तर भारत तक फैला ली थी।

महमूद गजनवी 27 साल की उम्र में 998 में और गज़नी की गद्दी पर बैठा और दो साल बाद यानि 1000 ईस्वी से भारत पर आक्रमण करना शुरू किया और 1025 में उसने सोरठी सोमनाथ पर 16 वा आक्रमण किया और खूब लूटपाट की। इस आक्रमण में लूट कर जाते हुए उसकी सेना को जाटों और खोखरों ने काफी नुकसान पहुंचाया था। वो जीत और काफी धन हाथ लगने की ख़ुशी में वापिस चला गया लेकिन दो साल बाद जाटों और खोखरों को सबक़ सिखाने के लिए वापिस लौटा।

ये उसका 17 वा आक्रमण था। तीन साल बाद उसकी मृत्यु हो गयी। उसकी मृत्यु के बारे में भी कहा जाता है कि उसकी मृत्यु बहुत दर्दनाक हुई! जबकि सच तो ये था कि उसे मलेरिया हो गया था और उस समय आधुनिकतम चिकित्सा उपलब्ध नहीं थी। सच तो ये है कि आधुनिकतम उपचार प्रणाली और प्रभावशाली रसूख अथाह धन-सम्पत्ति उपलब्ध होने के बावजूद बॉलीवुड के बेताज बादशाह यश चोपड़ा की मृत्यु डेंगू ( डेंगी) से हो जाती है तो 1000 साल पहले की तो बात करना ही बेकार है। इससे आगे की दास्ताँ सुनाने से पहले मैं आपको एक नज़्म सुनाना चाहता हूँ :

रात कैसी भयानक थी वो अजीब,
रात फुटपाथ पे दम तोड़ गया कोई गरीब ।
शिद्द्ते क़र्ब से चीखा ही किया सारी रात ,
पुर्सिश को एक इंसां भी न आया क़रीब।
एक बेशर्म शिफागाह खड़ा देखा ही किया,
मगर बेकस को मयस्सर न हुआ कोई तबीब।।

; (शर्म उनको फिर भी नहीं आती मगर )

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