बिना मान्यता प्राप्त के कलमकारों की बदहाली की ओर एक और कदम

कलमकार

मो० ताहिर अहमद वारसी

पत्रकारिता एक ऐसा कार्य है जो आज आम तौर पर सड़कों, गलियारों पर आसानी से देखा जा सकता है। मगर हम जिस पत्रकारिता के पक्षकार हैं वो धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है।

जिस निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता ने आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देकर अंग्रेजों की नींव खोखली की और अब तक शासन प्रशासन को जनता की आंखों देखी बताकर जन समस्याओं को अधिकारियों तक पहुंचाया।और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की नींदें हराम की ऐसी पत्रकारिता करने वाले न तो जल्दी शासन प्रशासन के आंख के तारे हो सके न सरकार की नज़र में पत्रकार।

उन पर हमेशा वसूली खोर,व अन्य मुकदमों के सिवा शायद ही कुछ मिल सका हो। क्योंकि अब दौर निष्पक्ष पत्रकारिता का नहीं बल्कि प्रीत पत्रकारिता (चाटुकारिता) का दौर है।ऐसे में पत्रकारों का ब्यौरा रखने वाला सूचना आयोग सिर्फ उन्हीं को पत्रकार मानता है जो पैसे के दम पर या तो किसी समाचार पत्र का संचालन कर रहे हैं।या जिले या प्रदेश के विभागीय अधिकारियों के मुंह लगे हैं।

ऐसे में सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उन्हीं लोगों तक सीमित है। निष्पक्ष पत्रकार पहले भी जमीन पर संधर्श कर गुमनाम था और आज भी ऐसे में प्रशासन की नजर में साप्ताहिक, मासिक पाक्षिक जैसे समाचार पत्रों में काम करने वाले पत्रकार आज भी पत्रकारों की सूची में नहीं आते।

ऐसे में योजनाएं चाहे जितनी हो निष्पक्ष पत्रकारों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता ।इस की जितनी जिम्मेदारी सूचना विभाग की है उतनी ही जिलों और मुख्यालय में बैठे पत्रकारों के हितैषियों की जो पूरे प्रदेश के पत्रकारों के ठेकेदार बन शासन में तो बैठे हैं मगर हकीकत में वो सिर्फ मलाई खाने के कार्य में व्यस्त हैं ।

इसी कारण धीरे धीरे वास्तव में निष्पक्ष पत्रकारिता देश और समाज से जैसे विलुप्त होती जा रही है। एक तो पहले ही पूरे प्रदेश में छोटे मझोले समाचार पत्रों के पत्रकारों में भय व्याप्त है और दूसरी ओर शासन की गोद में बैठे पत्रकारों को 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन योजना की तैयारी चल रही है।

ऐसे में शासन भी उन्हीं पत्रकारों को सुविधाओं का लाभ पहुंचाएंगा जो पहले से पैसा,रसूख या चाटुकारिता से जिला या मुख्यालय की गोद में बैठे हैं। जोकि गोदी मीडिया के नाम से वाकिफ है ऐसे में शासन को चाहिए कि निष्पक्ष पत्रकार जो जिलों के भ्रष्ट कर्मचारियों के कारण आज तक पत्रकारों की सूची में नहीं आ सके ।

सीधे आनलाइन आवेदन कर अपने पुर्व के कवरेज रिकॉर्ड के बेस पर योजनाओं का लाभ ले सकें।ऐसी योजनाएं शासन को सीधे आनलाइन रिसीव करनी चाहिए ताकि जिलों में भ्रष्टाचार से लड़ रहे पत्रकारों को भी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके।

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