पुरानी पेंशन बहाली पर सीएम शिवराज सिंह की ना नकुर किस लिए?

मामला
पुरानी पेंशन बहाली का शिवराज सिंह की ना नकुर ।

कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नवीन अंशदायी पेंशन योजना को बंद कर पुरानी पेंशन बहाल की जा चुकी है किन्तु मध्यप्रदेश के कर्मचारी इस पेंशन को पाने तभी से टेंशन में हैं जबसे यहां स्थापित कांग्रेस सरकार को तथाकथित महाराज ने मुख्यमंत्री बनने की चाहत में अपने साथियों सहित मोदीजी की गोद में बैठकर बलि चढ़ा दी थी।

आज कर्मचारी आहें भरते हुए कांग्रेस को याद कर रहे हैं काश यहां सत्ता में कांग्रेस होती तो पुरानी पेंशन अब तक मिल चुकी होती।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 100 से ज्यादा विधायक पुरानी पेंशन के समर्थन में हैं ।लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले पर विचार विमर्श करने को भी तैयार नहीं है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में कुल विधायकों की संख्या 230 है। अतः 100 से ज्यादा विधायकों का किसी विषय पर समर्थन एक महत्वपूर्ण विषय है।
प्रदेश में एक ही कार्य पर लगे लोक सेवकों को भीअलग-अलग पेंशन क्यों दी जा रही है समझ से परे है।

जबकि प्रदेश में भी इस योजना के समर्थन में कांग्रेस के 96 विधायक लामबंद हो चुके है साथ ही भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी इस मांग को लेकर सरकार से गुहार लगाई है परन्तु प्रदेश के मुखिया के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है?

एक दिन के लिए चुने गये माननीय विधायकों/सांसदों को पुरानी पेंशन के तहत लाभ प्रदान किये जा रहे है जबकि 35 से 40 वर्ष शासकीय कार्य निष्ठा व ईमानदारी से करने वाले लोक सेवकों से यह दोहरा मापदण्ड क्यों ? पुरानी पेंशन योजना सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई थी सरकार का कर्तव्य है कि वह बुढ़ापे में अपने अधिकारी-कर्मचारियों के हित की रक्षा करें जबकि नई पेंशन योजना में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित हो सके।

सरकार द्वारा OPS (पुरानी पेंशन योजना) चालू न किये जाने से कर्मचारियों में भारी आकोश व्याप्त है। जब एक राष्ट्र एक संविधान का सिद्धांत लागू है तो एक राष्ट्र में दो अलग-अलग पेंशन योजनायें क्यों ? ये सवाल महत्वपूर्ण है संभावित है यदि पुरानी पेंशन बहाली के लिए यह सरकार उचित कदम नहीं उठाती है तो मामला अदालत में ले जाया जा सकता है।

अफ़सोसनाक बात यह है कि सदन में जब सौ से ज्यादा विधायक इसका समर्थन कर रहे हैं तो मुख्यमंत्री जी इसके प्रति इतने लापरवाह क्यों हैं?सारे देश में खेल कांग्रेस राज्य वाली दो सरकार ने बिगाड़ रखा है। उनकी इस पहलकदमी ने सोए कर्मचारियों को जगा दिया है।

यह कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा मामला है इसलिए वे बुरी तरह आहत हैं और आश्चर्यजनक रुप से यदि यह मांग उनकी मंजूर नहीं होती है तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ये कर्मचारी भाजपा का सूपड़ा साफ करने में अहम भूमिका निभायेंगे यह तय है।

वैसे भी यह सरकार बुरी तरह अर्थ संकट से घिरी हुई तिस पर पिछड़े वर्ग,और एस सी ,एस टी की एकजुटता भी भारी पड़ने वाली है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है वह पहले से ज्यादा मज़बूत हुई है।जो भाजपा की मध्यप्रदेश में बदतर स्थिति का द्योतक है। इसमें यदि ये कर्मचारी और जुड़ जाते हैं तो भाजपा का हाल क्या होगा समझना चाहिए।

इसलिए बेहतरी इसी में है कि कर्मचारियों के हित में विधायकों की मन:स्थिति का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री उनकी पुरानी पेंशन बहाल करने का आदेश पारित करें , वे कांग्रेस सत्ता में ना होने का जो दंश झेल रहे हैं उसे हल करने की पहल करें।यह मध्यप्रदेश भाजपा सरकार की पहली उपलब्धि भी होगी और अन्य भाजपा शासित प्रदेशों के लिए मिसाल।

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