पहले तो चाय बेचते थे,आज अय्याशी के मामले में दुनिया के किसी भी तानाशाह शहंशाह और राष्ट्राध्यक्ष से कुछ कम नहीं है बल्कि इस से भी चोटी पर निकल चुके है ये जनाब!

अय्याशी के मामले में नरेंद्र मोदी दुनिया के किसी तानाशाह, शहंशाह और राष्ट्राध्यक्ष से आगे निकल चुके हैं। जब देश की आर्थिक सबसे खराब है, सरकार के पास कई जरूरी कामों के लिए पैसे नहीं हैं। विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है और बैंक का एनपीए रिकार्ड ऊंचाई पर है। रुपया बेदम है और वर्ल्ड बैंक का सूद बढ़ता जा रहा है।

ऐसे हालात में खर्च की प्राथमिकता पर बहस होनी चाहिए, लेकिन देश के खजाने से कब क्यों और कितना निकले यह वित्त मंत्रालय भी तय नहीं कर पा रहा है। इस देश के लिए आज प्रधानमंत्री को पालना वैसा ही हो गया है जैसे किसी गरीब के लिए हाथी पालना जैसे हो। मोदी के जन्मदिन पर जनता के टैक्स का 2 हजार करोड़ खर्च कर दिया है। बाकी साल में कितना खर्च होता है, यह तो अलग बहस का विषय है।

खुद के इस्तेमाल के लिए महंगे सूट बूट,पहनना वे रोजगारी से परेशान मुल्क के वजीर ए आजम ने अपने चलने के लिए बारह बारह करोड़ की कई कारें खरीद रखी है।और तो और अपने विदेश दौरे के लिए आराम से सजा तकरीबन आठ हजार करोड़ का बोइंग खरीदा गया है।
लाखो रुपए के इटेलियन सूट,अमरीकन केनोथ कोल जूते, मेड इन अमेरिका का लाखों रुपए का आई फोन,इटेलियन रोजर दुबियस घड़ी,पढ़ने के लिए कपर विजन और धूप के बरसेएस चश्मे इस्तेमाल करते है।इन सबकी कीमत लाखो करोड़ों में है। इनके द्वारा जितनी महंगी शालो और जैकेट्स का इस्तेमाल किया जाना भारत जैसे गरीब मुल्क के लोगो ने कभी देखा भी नहीं था न ऐसा कभी सोचा भी नही था।

क्या हम इसी लिए गणतंत्र हुए थे.क्या आपने कभी पूछा है कि देश के लिए यह प्रधानमंत्री कितना महंगा साबित हुआ है क्या संविधान में वर्णित हम भारत के लोग इतने महंगे प्रधानमंत्री को झेलने की औकात रखते हैं?

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