निर्भया केस की असली हकीकत चारो आरोपी गरीब तबके से है, पर न्यायालय का खर्च उठाना , तारीख पे तारीख दिलवाई जा रही है, मकसद फांसी की सज़ा से बचाया जा सके , आखिर इन सब का मददगार कौन ?

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रिपोर्टर:-

क्या भारत का कानून अंधा है , यह बात बिल्कुल सटीक लगती है क्योंकि निर्भया के गुनाहगारों की फांसी की तारीख बढ़ती जा रही है?

आज भी निर्भया की मां के कानों में उसकी बेटी की चीखें गूंज रही है ,जब भी वह रात में सोने के लिए लेटती है ।
उनकी आंखों के सामने बेटी के साथ हुए अत्याचार की कहानी घूमने लगती है और वह चौंक कर उठ जाती है और बेटी की याद में आंखों से सैलाब उमड़ने लगता है।
बेटी तो नहीं मिल सकती इंसाफ की आस में पूरे 8 साल हो गए अदालतों के चक्कर लगाते लगाते जब निर्भया के साथ अत्याचार एवं उसकी निर्मम हत्या की गई थी पूरे भारत में रोष की आंधी का सैलाब आ गया था ,अब धीरे-धीरे यह सैलाब मंदा पड़ गया है ।
अब केवल निर्भया की मां एवं पिता अकेले अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं ।
फैसला हुआ फास्ट ट्रैक कोर्ट में हैरत की बात है ।
फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला और सजा के लिए अभी भी तारीखों पर तारीख।
इन 8 सालों में निर्भया की मां रोज अपनी बेटी की मौत को याद करती है ,रोज उसको उसकी बेटी की चीखे सुनाई देती है !
उसको लगता है उसकी बेटी चीख चीख कर बोल रही है , मां इन दरिंदों ने मुझ को बहुत तकलीफ पहुंचाई है ,
निर्भया कांड को तकरीबन 8 साल हो गए जानिए अब तक की पूरी घटना 29 दिसंबर 2012 को निर्भया ने ली थी आखिरी सांस
अभी भी पूरे देश को दोषी मुकेश, विनय , अक्षय , पवन की फांसी का इंतजार है ।
वह दिसंबर महीने की ओ काली मनहूस रात थी जिस रात को निर्भया के साथ कथीत अत्याचार हुआ वह इस प्रकार है।

एक छोटा लड़का पालम मोड और द्वारका के लिए आवाज लगा रहा था , ऐसे में एक लड़का बार-बार निर्भया को बोल रहा था ” दीदी चलो, कहां जाना है, हम छोड़ देंगे”,
जिसके बाद निर्भया और उसका दोस्त बस में बैठ गए
किसी ने नहीं सोचा कि बस की सवारी जानलेवा साबित होगी !
जैसे ही बस थोड़ी और आगे चली तो दोषियों ने बस का गेट बंद कर दिया ।
3 लोग सीट पर आए और निर्भया और उसके दोस्त के चेहरे पर घूंसा मारा, दोषियों ने निर्भया और उसके दोस्त का फोन छीन लिया ।

उन्होंने मारने के लिए तीन रॉड का इस्तेमाल किया , कोई सिर पर मार रहा था, कोई पीठ पर तो कोई हाथों पर. जिसके बाद निर्भया के दोस्त के पैरों पर रॉड से खूब मारा. जैसे ही निर्भया का दोस्त गिरा, दोषी निर्भया को खींच कर पीछे ले गए. जहां उसके साथ अत्याचार किया।
वहीं पिछली सीट में निर्भया के साथ दोषी इंसानियत की हद पार कर रहे थे. दोषी आपस में बातचीत करते हुए कह रहे थे कि ‘मर गई है लड़की अब इसे फेंक देते हैं ।
दोषियों ने निर्भया और उसके दोस्त को झाड़ियों में फेंक दिया, जिसके बाद उनपर बस चढ़ाने की कोशिश भी की ।

आज तक यह बात समझ में नहीं आई इन दरिंदों के पीछे किसका हाथ है , इन दरिंदों को कौन पैसे वाले लोग मदद कर रहे हैं ?,क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में एक अपील लगाने में लाखों रुपए लग जाते हैं ,
यह दरिंदे सब गरीब और मजदूर परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।
इन लोगों के पास इतना पैसा कहां से आ रहा है ,जो आए दिन सुप्रीम कोर्ट में पैसे लगा रहे हैं ।
ऐसे दरिंदों के मददगारो का चेहरा जनता के सामने आना चाहिए । इन दरिंदों को ऐसी मौत देना चाहिए जो एक मिसाल बन जाए और इन दरिंदों की मौत को देखकर दूसरे दरिंदे सजा के खौफ से कांप ने लगे।
उनकी फांसी की तारीख को अब बढ़ाना नहीं चाहिए ।
निर्भया को भी था जीने का अधिकार ।
फिर क्यों हुआ निर्भया पर घिनौना अत्याचार ।

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