दिल्ली, मुंबई का नकारापन और बेरहमी का दर्द आज भी भूले नहीं ये लोग?

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रिपोर्टर:-

बीते साल के बुरे लॉक डाउन का अनुभव फिर से एक बार उन मजदूर प्रवासियों को सब कुछ समेट कर सड़क नापने को मजबूर कर रहा है!

मानवता फिर से शर्मसार न हो इसके लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए।
ठीक है कि अस्पताल में बिस्तर,ऑक्सीजन कम नहीं।
लेकिन सरकार के पास सरकारी खजाना और उसकी चाभी तो है!

जो भी प्रवासी श्रमिक अपने घर वापस जाना चाहते हैं उनकी जांच कर उन्हें सम्मान से उनके घर वापस भेजने का प्रबंध करना सरकार की जिम्मेदारी है किसी एनजीओ की नहीं।
करीब हर प्रदेश के अपने राज्य परिवहन हैं, सरकारें संसाधन का बहाना नहीं बना सकती!
दिल्ली मुंबई का नकारापन और बेरहमी का दर्द भूले नहीं ये लोग।

एक खामोशी और सिहरन पिछला बुरा अनुभव फिर से उन्हें सब कुछ समेट कर सड़क नापने को मजबूर कर रहा है।
सरकारों को ध्यान देना चाहिए कि फिर कोई गर्भवती महिला सड़क पर न दिखे।
न कोई अबोध बालक मृत माता की छाती से अपने जीवन के वजूद के लिए दो बूंद दूध के लिए संघर्षरत दिखे!

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