गडकरी जी क्या अब यही काम बचा है कि नेशनल हाईवे किनारे की सभी दुकानों को ध्वस्त कराने का है प्लान ?

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुपचुप तरीके से सभी राज्य सरकारों को खत लिखकर मांग की है नेशनल हाईवे किनारे की सभी दुकानों को ध्वस्त कर दिया जाए.

खत में उनका तर्क है हाईवे पर दुकानों और बाजारों के कारण जाम और भीड़ होती है इसी कारण यहां सबसे ज्यादा एक्सीडेंट भी होते रहते है।
एक्सीडेंट को आधार बनाकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पूंजीवादियों के लिए फ़ूड चैन और अन्य मार्केट के लिए हाईवे से आम आदमी की दुकानों को हटाना चाहते हैं वो भी बेहद गोपनीय तरीके से?

इस देश की जनता को जानना चाहिए कुल हाईवे के केवल 2% हिस्से पर दुकानें और बाजार लगता हैं. हम कह सकते हैं हर हाईवे का एक छोटा हिस्सा छोटे शहरों और कस्बों को चीरकर निकलता है, जहां पुराने बाजार पहले से मौजूद हैं और नए बाजारों का उभरना स्वाभाविक है।

हाईवे के जिन 2% हिस्सों पर दुकानें हैं इससे सीधे तौर पर 1,00,00,000 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं और यह 5,00,00,000 करोड़ से अधिक लोग रोजगार मुहैया कराता है।
वैसे भी देश में रोजगार का संकट मंडरा रहा। है केंद्र सरकार नए रोजगार पैदा करने में विफल रही है. तो दूसरी तरफ एक ताकतवर मंत्री बिना किसी बहस के गोपनीयता नीति अपनाते हुए कुछ पूंजीपतियों के लिए लाखों दुकानें तोड़वाकर करोड़ों लोगों को गरीब करना चाहता है यह मिशन कितना लाभदायक व सफल हो सकता है, कितने गंभीर परिणाम होने की संभावना है इसका कोई जवाब है आप के पास नितिनजी ?
बेरोजारोंबको रोजगार देने का लॉलीपॉप दिखाकर उन्हे रोजगार से मुक्त कराने का इरादा कतई नाकाबिल है।

संवाद
क्रांति कुमार

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