क्या होली हमारे मन की सफाई का त्यौहार है? मन के भीतर की सारी बुराइयों को नष्ट कर देता है ?
रिपोर्टर:-
भक्तराज प्रहलाद की पावन कथा का स्मरण कराता यह पर्व।
आज राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम और सम्पूर्ण जगत के लिए उमंग उल्लास को प्रदान कराने वाला पर्व भी है।
होलिका दहन- अचेतन मन में ना जाने कितनी इच्छाएं, कितने प्रदूषित विचार कितनी ईर्ष्याऐं,
अंदर ही अंदर चेतना को बोझिल और प्रदूषित एवं परेशान करती रहती हैं।
होली का यह उत्सव आज हमें वह अवसर उपलब्ध कराता है,
जब हम अपने अन्दर जमा इस कूड़े-कचरे को बाहर निकालकर अपनी चेतना को हल्का और निर्मल बनायें।
इस पावन पर्व पर बाहर और भीतर दोनों जगह स्वच्छ और पवित्र रहने के संकल्प लें।
प्रेम बांटे, खुशियाँ बाँटें और मुस्कुराकर जोर से कह दें, होली है।
होली के त्यौहार को भारतीय परंपरा में आनंद का उत्सव कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
यह पर्व वातावरण में मौज मस्ती और हर्षोल्लास का रंग भर देता है ।
वसंत ऋतु की विदाई का यह त्योहार असलियत में जीवन की नीरसता दूर कर उस में मधुरता घोल देता है।
जिसमें प्रकृति नई नवेली दुल्हन की तरह खिल उठती है।
फागुन मन मस्त मतंग बयार बहै।
जियरा अठखेली खेल रहा।
कहीं बोली से होली की आहट।
जियरा मन राग अलाप रहा।
भौंरे मंत्रमुग्ध ह्वै कलियों पर।
चहुँ ओर से मन ललचाय रहा।
अँवराई में कोयल की लुका छिपी।
प्रियतम मन हरषाय रहा।।
हर रंग से रंग कर धरा सुहानी।
मन प्रमुदित हो इतराय रहा।
फागुवा राग गूँज रहा जन जन।
मन मृग नैयनी देखि इठलाय रहा ।
आपकी प्रगति के रंग-बिरंगे पथ के निर्माण में एक रंग मेरी शुभकामनाओं का सपरिवार आपको होली शुभ एवं मंगलमय हो।