क्या सरकार द्वारा BPCL को रूस के हाथों सौदा करने का प्लान देश के लिए हानिकारक है ?

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रिपोर्टर:-

BPCL- रोजेनेफ्ट डील यानी इस हाथ ले उस हाथ दे(Part 2) कल खबर आई कि भारत की सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड BPCL को रूस की सरकारी कंपनी रोजनेफ्ट खरीदने वाली है
गुजरात के जामनगर में स्थित देश की दूसरी सबसे बड़ी प्राइवेट ऑयल रिफाइनरी में जो पहले एस्सार आयल के नाम से जानी जाती थी।

वह अब रोजनेफ्ट की मिल्कियत है यदि रोजेनॉफ्ट भारत पेट्रोलियम की हिस्सेदारी खरीद लेती है तो देश के तेल मार्केट में रूसी कंपनी की बड़ी भूमिका हो जाएगी।
आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री कुछ महीने पहले रूस के दौरे पर गए थे और वहाँ उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के सामने यह आश्चर्य जनक ढंग से यह घोषणा की थी कि भारत रूस को एक अरब डॉलर का कर्ज देने जा रहा है।
यानी यहाँ अपनी संपत्तियों को बेचा जा रहा है वहाँ प्रधान सेवक उस पैसे से कर्जा बाँट रहे थे।
इस एक अरब डॉलर तो लोन के अलावा भारतीय सरकारी कम्पनियों से मोदी जी ने पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के 50 समझौते करवाए थे ।
जिसमे भारतीय कंपनियों द्वारा रूस में तेल और गैस सेक्टर में निवेश करवाने की बात थी ।
कमाल की बात तो यही है कि रुस के सुदूर क्षेत्र साइबेरिया में तेल गैस निकालने को ONGC और इंडियन ऑयल को मजबूर किया जा रहा है ।

लेकिन उसे अपने देश में BPCL जैसी कम्पनी को खरीदने से रोका जा रहा है उसके लिए रुस की सरकारी तेल कम्पनी को न्यौता दिया जा रहा है यह साफ साफ इस हाथ ले और उस हाथ दे वाली बात है ।
यही खेल पहले एस्सार आयल के मामले में खेला गया इस खेल का यह दूसरा चरण है ( एस्सार आयल डील की सच्चाई कमेन्ट बॉक्स के पहले लिंक में है)
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिस BPCL को बेचा जा रहा है वह लगातार लाभ में बनी हुई है और पिछले पांच साल से यह सालाना हजारो करोड़ का प्रॉफिट सरकार को कमा के दे रही है।

वित्त वर्ष 2018-19 में ही बीपीसीएल को 7,132 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है ।
इसलिए सरकार द्वारा बीपीसीएल के विनिवेश के फैसले को लेकर कर्मचारी भी आश्चर्यचकित हैं।
अक्सर सरकारी कम्पनी के बारे में यह कहा जाता है कि वह बेहद गैर पेशेवर तरीके से चलाई जाती है।
लेकिन BPCL के बारे में यह सच नहीं है सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में बीपीसीएल सबसे पेशेवर ढंग से चलने वाली कंपनी है।

इसलिए सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के कर्मचारी संगठन बीपीसीएल के रणनीतिक विनिवेश का विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इस विनिवेश से सरकार को एक बारगी राजस्व की प्राप्ति तो हो सकती है लेकिन इसका दीर्घकाल में बड़ा नुकसान होगा।
BPCL को इस तरह से विदेशी कंपनी के हाथों बेच दिए जाने से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है संचार, तथा तेल क्षेत्र का राष्ट्रीय सुरक्षा में स्ट्रेटजिक महत्व होता है ।
लेकिन अब मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों की सहायता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ताक पर रख देने को तैयार है

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