क्या कहता है,पुलवामा हमले का खौफनाक सच ? जानेंगे तो होश उड़ जाएंगे !

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रिपोर्टर:-

साल है 2002 गुजरात विधानसभा चुनावों का समय,
कुछ समय पहले गुजरात में आए भयानक भूकंप में तत्कालीन भाजपा सरकार की विफलता के बाद स्थितियां भयावह हो चली थी और गुजरात की जनता में भयानक आक्रोश व्याप्त था।
उस दौरान मुख्यमंत्री थे- नरेंद्र मोदी।
अचानक गोधरा में स्वयंसेवकों से भरी ट्रेन में आग लगती है और कई स्वयंसेवक जलकर मर जाते हैं।
नरेंद्र मोदी उनकी लाशों की झांकी बनाकर चुनाव प्रचार में उतरते हैं और चुनाव जीत जाते हैं!

दूसरे चुनाव में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमला होता है और एक बार फिर नरेंद्र मोदी चुनाव जीत जाते हैं।
अब तक नरेंद्र मोदी इस तरह के हथकंडों से चुनाव जीतने के माहिर खिलाड़ी बन जाते हैं।
2014 में मोदी देश के प्रधानमंत्री बन जाते हैं और 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव पहली बार बिना मोदी के होता है।

भाजपा पूरी तरह हार की कगार पर खड़ी होती है कि अचानक अमरनाथ यात्रा में शामिल गुजराती यात्रियों से भरी एक ऐसी बस पर हमला होता है, जिसका श्राइन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन तक नहीं होता है।
खैर, भाजपा जैसे-तैसे बहुमत से 6-7 सीटें ज्यादा जीतकर सरकार बना लेती है।

याद रखिए, पिछले लगभग ढाई दशक में भाजपा पहली बार 100 सीटों से कम में सिमट जाती है।
यूपी विधानसभा चुनाव में मरणासन्न भाजपा को सहारा मिलता है-

उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक का और मोदी जी एक बार फिर सैनिकों की चिता में हाथ सेंक कर सत्ता हासिल कर लेते हैं!
अब आता है- साल 2019। देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा होता है।

देश की जनता में नोटबंदी, जीएसटी, राफेल घोटाला, किसान आत्महत्याओं, बढ़ती बेरोजगारी, दलित उत्पीड़न के कारण मोदी सरकार के प्रति भारी आक्रोश होता है।
और भाजपा सरकार राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, पंजाब में अपनी सरकारें गंवा चुकी होती है।
अचानक एक दोपहर कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले और 45 जवानों की शहादत की खबर आती है।
देश को सारे मुद्दे भुलाकर देशभक्ति की भट्टी में झोंक दिया जाता है।
यहाँ दो तथ्य उल्लेखनीय है-

पहला, दक्षिण सिनेमा के विख्यात अभिनेता पवन कल्याण का बयान कि, भाजपा नेता ने दो साल पहले ही लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह का हमला होने और मोदी सरकार के चुनाव जीतने की बात कहकर गठबंधन का प्रस्ताव रखा था।

दूसरा, हमले में शामिल ‘अल्ताफ़ अहमद राथर’, जिसको एक मुठभेड़ में 9 अक्टूबर 2017 को गिरफ्तार किया जाता है और बिना किसी जांच के किसके आदेश पर छोड़ा गया- यह अब तक अनसुलझा मामला है?

कुछ सवाल हैं, जो इस तथ्य की तरफ इशारा करते हैं कि कहीं चुनावी लाभ के लिए हमारे सैनिकों के जीवन की बलि तो नहीं चढ़ाई गयी?

CRPF के जवानों की हवाई मार्ग की मांग क्यों ठुकराई?
CRPF के काफिले के रास्ते की जानकारी आतंकियों को कैसे मिली?

350 किलो विस्फोटक पुलिस की नजरों से कैसे बचा?
सुरक्षा एजेंसियों ने हमले की पूर्व सूचना को किसके कहने पर नजरअंदाज किया?

महत्वपूर्ण बात- जम्मू&कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के कारण सारी शक्तियां मोदी सरकार के हाथ में है।
अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि पुलवामा हमले से लेकर विंग कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान की कैद में होने के बावजूद भी मोदी और भाजपा ने अपने कार्यक्रम क्यों रद्द नहीं किए? रक्षा मंत्रीक्यों लापता हुई? अजित डोभाल क्यों चुप रहा?
लेकिन, आपको चुप नहीं रहना है।
आप चुप रहे तो अगले काफिले में आपका बेटा, भाई, पति, पिता भी हो सकते हैं।

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