ऑपरेशन पोलो की सालगिरह पर एक खास रिपोर्ट, जिस ऑपरेशन में दो लाख से भी ज्यादा मुसलमानों को मरवा दिया गया था, किसने और क्यों? जानिए

आज ऑपरेशन पोलो की सालगिरह है और 2 लाख मुसलमानो की बरसी भी है!

हैदरबाद को इंडियन यूनियन में शामिल करने के नाम पर सरदार पटेल और उनके सेक्रेटरी वी पी मेनन ने सरकारी आकड़ो के हिसाब से 40 हज़ार और रिसर्चर के दूसरे लोगो के मुताबिक 2 लाख मुसलमानो को मरवा दिया था, हैदराबाद रियासत के महाराष्ट्र और कर्नाटक के शहरों में बस्तिया खत्म कर दी गयी थी, उस्मानाबाद, नांदेड़, गुलबर्गा और बीदर शहरों को मुसलमानो की लाशों से पाट दिया गया था।

उसके बाद नेहरू ने पंडित सुंदरलाल कमीशन बनाया जिसको क़ाज़ी अब्दुल गफ्फार ने हेड किया। जिसमें सुंदरलाल, मौलाना अब्दुल मिसरी और फारूक सयर थे। इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में साफ साफ लिखा की 40 हज़ार मुसलमान पुलिस एक्शन के नाम पर मारे गए।

इस कमीशन ने लिखा कि सिर्फ लातूर में 2000 से 2500 मुसलमान मारे गए, लातूर में मुसलमानो की आबादी उस वक़्त 10 हज़ार थी जब कमीशन ने लातूर का दौरा किया उस वक़्त सिर्फ 3 हज़ार मुसलमान बचे थे। यही कमीशन लिखता है कि गुलबर्गा में 5 हज़ार से 8 हज़ार मुसलमानो की मौते हुई, यही हाल बीदर का रहा, नांदेड़ में तक़रीबन 2 हज़ार से 4 हज़ार मौते हुई, तमाम लोग जंगलो में भाग गए और महीनों पड़े रहे। कमीशन के लोग एक गाँव गए वहाँ एक तालाब से 11 मुसलमानो की लाशें निकाली गई जिसमे एक औरत की लाश से एक बच्चा चिपका हुआ था।

जब ये रिपोर्ट आई तो पटेल ने इसको स्वीकार ही नही किया। उसके बाद खेल किया गया, नाइंसाफ़ी की इस दास्तान को छुपाने का। इंसाफ तो दूर की बात है, रिपोर्ट को पब्लिक नहीं करते हुए गायब कर दिया गया था! 2013 तक ये रिपोर्ट बाहर नही लायी गई। उसी से अंदाज़ा लगा ले कि आज़ाद भारत की सरकारी मशीनरी की मुसलमानो के बारे क्या सोच थी और क्या रवैया था?

2013 में ये रिपोर्ट पब्लिक में आई, आप भी नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में जाकर ये रिपोर्ट देख सकते है कि मुल्क के आज़ाद होते ही कैसे नस्लकुशी का खेल खेला गया? हैदराबाद का, पुलिस एक्शन के नाम पर और वही खेल जम्मू में हुआ और इस नाइंसाफ़ी को ढांपने के लिए गंगा जमनी तहज़ीब का खेल शुरू हुआ पहले मारो फिर एक क़ौमी यकजहती प्रोग्राम करवा दो, लेकिन हमारा हाल भी वही है कि तारीख़ के इन इबरतनाक वाकयो से कोई सबक लेने को तैयार नही.

संवाद


Nadeem Khan भाई
मो अफजल इलाहाबाद

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