उन्नाव रेप पीड़िता को जीतेजी नही मिल पाया इंसाफ पर उसके मरने के बाद कैसे बदनाम किया जा रहा है ? जाने !
रिपोर्टर:-
उन्नाव केस में सब डिवीजनल-मजिस्ट्रेट दया शंकर पाठक के सामने पीडिता ने शिवम त्रिवेदी के खिलाफ अपहरण करने और रेप करने का बयान दर्ज कराया तब भी त्रिवेदी को बेल दी गई!
इसके पीछे भी राज़ छुपे है।
बेल मिलने के बाद रेपिस्ट त्रिवेदी ने शुभम त्रिवेदी, उमेश वाजपेयी, हरकिशोर वाजपेयी, राज किशोर वाजपेयी के साथ मिलकर पीड़िता को ज़िन्दा जला दिया।
जिस थाने के क्षेत्र में घटना हुई उसके प्रभारी अजय त्रिपाठी ने मामला भड़कने पर आरोपी को अरेस्ट कर जेल भेज दिये।
जन आक्रोश शांत करने को उन्नाव के आतिरिक्त पुलिस महानिरिक्षक बी. के. पांडे ने उनसे कडी पुछताछ करने की बात कही।
अब हालात संभालने को UP सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने दोषीयो को कडी सजा देने का रटा रटाया स्टेटमेंट दोहराया है।
हद तो तब हो गई जब BBC पत्रकार समीरात्मज मिश्रा ने भी अपनी रिपोर्टिंग में पीडिता के चरित्र को शातिराना तरीके से उछालकर आरोपियो के घर की महिलाओं के दुख और आरोपियों पर कोई मुकदमा न होने की बहस सरकाकर आरोपियों के पक्ष में धारणा और सहानुभूति का माहौल बनाने का खुलेआम दुस्साहस कर डाला!
बाकी अब तमाम मिश्रा, अवस्थी, झा, उपाध्याय, द्विवेदी, चतुर्वेदी, तिवारी, शर्मा, दीक्षित, व्यास, भागवत, त्रिपाठी, पांडेय सब लड़की को बदचलन, जबरन शादी करने वाली, रिश्ता तोड़ने के ऐवज़ में बहुत ज्यादा रकम मांगने वाली, और खुद को पेट्रोल से जलाने वाली साबित करने में जुट गए हैं?
मतलब त्रिपाठी, पांडे, पाठक, मिश्रा से एकतरफा भरे तंत्र में आरोपी त्रिवेदी, बाजपेई हर स्तर पर घर जैसी बात महसूस कर रहे होंगे!
अपराधी ऐसे सिस्टम में कितना होमली फील कर रहे होंगे?
वैसे घटना खुद सिस्टम के बड़े सपोर्ट का सबूत है!
जातिवादी कोढ़ से बीमार इस तंत्र से समाज का क्या इलाज होगा ?