आज ही के दिन भारतीय मुस्लिम लेखक,महान स्वतंत्रता सेनानी और कुरान के ज्ञाता का मौलाना अब्दुल माजिद दरयाबादी ने इस दुनिया से कुच किया था, जानिए उनके बारेमे और भी कुछ खास जानकारी

स्मरण रहे कि एक ऐसी महान हस्ती को देश की जनता शायद ही याद करती होगी ऐसी वह महान हस्ती भला कौन हो सकती है जिसे हम ने भुला दिया?
बता दें कि आज ही के दिन भारतीय मुस्लिम लेखक ,महान स्वतंत्रता सेनानी और क़ुरान के ज्ञाता मौलाना अब्दुल माजिद दरयाबादी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था,

मौलाना दरियाबादी ख़िलाफत आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे ;
इसके साथ ही रॉयल एशियाटिक सोसाइटी , लंदन; अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय , अलीगढ़ ; नदवतुल उलेमा , लखनऊ ;
शिबली अकादमी , आज़मगढ़ , और कई अन्य प्रमुख इस्लामी और साहित्यिक संगठन जैसे संगठन से भी जुड़े रहे,

एक बहुत अहम बात यह थी कि आपने अंग्रेजी में कुरान पर एक व्यापक टिप्पणी में योगदान देने के अलावा, उर्दू में एक स्वतंत्र तफ़सीर भी लिखा जिसे तफ़सीर मजीदी (इस्लामी अनुसंधान और प्रकाशन
अकादमी, लखनऊ ) के रूप में प्रकाशित किया गया। उन्होंने 1950 में हकीम मूल- उम्मत पुस्तक भी लिखी। उन्होंने 1943 में मुहम्मद अली ज़ती डायरी नामक जीवनी भी लिखी।

अब्दुल क़वी देसनावी ने उर्दू मासिक पत्रिका नैयाौर के लखनऊ संस्करण में दरियाबादी पर एक विशेष अंक प्रकाशित किया। उन्होंने साहिर बॉम्बे वॉल्यूम में प्रकाशित मासरीन में दरियाबादी पर एक समीक्षा भी प्रकाशित की थी,

आज समस्त मुस्लिम उलेमाओं को भी अब्दुल माजिद दरयाबादी जैसी हिक्मत अपनाने की ज़रूरत है, जिन्होंने अरबी के साथ साथ अंग्रेज़ी को भी अपना हथियार बनाया,
आपके मित्रों में सय्यद सुलेमान नदवी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद,मुहम्मद अली जौहर, अकबर इलाहाबादी जैसे महान व्यक्ति रहे हैं।

इस महान स्वतंत्रता सेनानी और लेखक को उनकी पुणयतिथि पर मीडिया डीटेक्शन प्रिंट व डिजिटल मीडिया द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है साथ साथ दुआ है कि ऐसी महान हस्ती को ईश्वर जन्नत नसीब अता फरमाए।आमीन

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