आखिरकार चुनावि भाषण के दौरान राहुल गांधी द्वारा क्या कुछ गलत बोला गया था?
राहुल गांधी की सदस्यता को खत्म कर दिया है।
अब भाजपा के अध्यक्ष बोल रहे है कि राहुल ने पिछड़ा वर्ग का अपमान किया है, कोई कह रहा है कि राहुल ने सभी मोदियो का अपमान किया है जिसके कारण कोर्ट ने उसे सजा दी है।
आखिरकार राहुल गांधी ने चुनावी भाषण में क्या बोला था, जैसा भाजपा के नेता कह रहे है? क्या ऐसा बोला भी था, या भाजपा नेता “कांग्रेस मुक्त भारत” बनाने के लिए भाषण के उस अंश को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रही है और राहुल गांधी और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए वो सब बोला जा रहा है जो राहुल गांधी ने कहा भी नहीं।
राहुल का पूरा भाषण अक्सर ऐसे है, पहले इसे ठीक तरह से पढ़ लीजिए, फिर
आगे बढ़ते है,
गौर तलब हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी कर्नाटक के कोलार में एक रैली में पहुंचे थे। रैली के दौरान राहुल ने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। राहुल ने कहा था, सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी? राहुल यहीं पर नहीं थमे राहुल ने आगे कहा, नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी अभी और ढूढेंगे तो और भी नाम निकल जाएंगे। इससे पहले राहुल ने अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला था।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरते हुए कहा था, ‘चौकीदार ही चोर है। नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या, ललित मोदी, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी ये सब चोरों की टीम है। राहुल ने कहा था कि जनता का पैसा इन्हीं लोगों के बीच घूमता रहता है! ( साभार नवभारत टाइम्स )
अब आप सभी पाठको के विवेक पर छोड़ते है कि क्या उपरोक्त चुनावी भाषण में किसी OBC वर्ग का अपमान हुआ?जैसा कि भाजपा अध्यक्ष नड्डा बोल रहे है?
चुनावी भाषणों में खुद मोदी ने कई बार इससे भी ज्यादा अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है, ममता बनर्जी को दीदी ओ दीदी, सोनिया गांधी को जर्सी गाय, कांग्रेस की विधवा, केजरीवाल को नक्सली, मनमोहन सिंह को मोन मोहन, संसद में कांग्रेस नेत्री रेणुका चौधरी को शूर्पणखा राक्षसी बोला और सदन में सभी भाजपा सांसद मेजें थपथपा कर मोदी के इस वक्तव्य पर हंस रहे थे। कांग्रेसी सांसद की दिवंगत पत्नी को ढाई करोड़ की गर्लफ्रेंड, नेहरू गांधी परिवार पर जो भाषा मोदी और बाकी के भाजपाई इस्तेमाल करते है वे किसी से छिपी नहीं बल्कि किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
अब ये सत्ता में बैठे जिम्मेवार लोग विपक्ष को नैतिकता पर भाषण दे रहे है और बिका हुवा मीडिया में ऐसे झूठे वक्तव्य दे रहे है, जो विपक्षी नेताओं ने दिए ही नहीं और विपक्षी नेताओं के भाषणों और संदर्भों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे है।
आज देश में लोकतंत्र 1975 की एमरजेंसी से भी ज्यादा खतरे में है, देश के सभी जागरूक नागरिकों को इसका डट कर विरोध करना होगा वर्ना वो दिन दूर नहीं जब हम लोग फिर से गुलामी की जंजीरों में
जकड़े होंगे,जैसे अंग्रेजो के वक्त होते थे, बस फर्क ये होगा कि अब हम अपने ही देश के पूंजीपतियों और कारपोरेटस कंपनियों के गुलाम होंगे।
साभार;
दुष्यंत कुमार