हर साल कहां और कब लगता है भूतों का मेला कैसे पूरी होती है लोगों की मुरादें?

जुन्नारदेव ,छिंदवाड़ा

संवाददाता

सरकार की और से कोरोना गाइडलाइन के तहत मेलो में लगाये गए प्रतिबंध खत्म होने के दूसरे ही दिन भूतों के मेले में उमड़ पड़ती है हजारो की भीड़।
जुन्नारदेव से 30 कि.मि दूर तालखमरा गांव में बैकुण्ड चौदस के दूसरे दिन कार्तिक पूर्णिमा में हर वर्ष मालन माई के दरवार में लगता है एक अनोखा मेला जिसे लोग भूतो का मेला भी कहते है,
जिसे देखने म.प्र के कई जिले एवं महाराष्ट्र से तक लोग आते है,उन लोगों की मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के इस मेले में भूत प्रेत जादू टोने जैसी बाधा दूर हो जाती है।
इसीलिए इस मेले में दूर दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है और यहां के तालाब में स्नान कर उस बर्गत के पेड़ के दर्शन करने जाते है कहा जाता है कि इस पेड़ मे दय्यात बाबा का स्थान है।
जहाँ लोगो की सारी तकलीफें दूर होती है इसके पश्चात लोग मालन मई के दर्शन कर के अपने आप को भाग्यशाली महसूस करते है,
यह लोग अपनी कोई भी मनोकामना पूर्ण होने पर मुर्गे ओर बकरे की बली भी देते है,
यहां के लोगों का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन मालन मई के दर्सन मात्र से लोगो की हर मनोकामना पूर्ण होती है,
भूतो के इस मेले में बहुत सी अद्भुत चीजे देखने को मिलती है।
पांडा औझा ढोल नगाड़ों के साथ नुकीले कील के पाटे में नाचते हैऔर अपने गाल व जिभ में त्रिशूल भेद कर अपनी धुन में मगन होकर झूमते नाचते नजर आते है!

साभार:मनोज डोंगरे

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