हजरत टीपू सुलतान न केवल एक राजा है बल्कि ओ राष्ट्रीय और सामाजिक एकता को प्रेरित करने वाली, देश को महा शक्ति बनानेवाली महान विचारधारा है?

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यौमे वालादत हजरत टीपू सुलतान r a
हजरत टिपू सुलतान r .a. एक मात्र ऐसे राजा के रूप में जाने जाते हैं, जो अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए गर्व से शहीद हुए थे!
लेकिन वे एक महान शासक और एक असाधारण योद्धा थे। टिपू सुलतान वैज्ञानिक, सामाजिक सुधारक, दार्शनिक, संशोधक, भूविज्ञानी, यांत्रिक इंजीनियर, सफल उद्यमी, साहित्यकार, युद्ध प्रबंधन विशेषज्ञ, कृषि विकासकर्ता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अकेली शख्सियत थी।
हजरत टिपू सुलतान को अपनी प्रजा के स्वास्थ्य की बहुत चिंता थी।
उन्होंने अपने राज्य में गांजा और अफीम की खेती पर और शराब के व्यापार पर प्रतिबंध लगा था।
उनके प्रधान ने जब चरस, गांजा, अफीम और शराब के व्यापार से टॅक्स के रूप में मिलने वाली राशि की ओर ध्यान आकर्षित किया, तो टिपू सुलतान ने प्रधान को पत्र लिखकर कहा मुझे संपत्ति से अधिक मेरी प्रजा का स्वास्थ्य प्रिय है।
अगर हम चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन का 2014 का सर्वे देखें तो, देश में नशा करने वाले युवाओं में 65 फीसदी युवा 18 की उम्र के हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश की 75 फीसदी आबादी नशे की आदी है।
आज भारत में हर साल 9 लाख लोगों की मौत तंबाकू के सेवन से होती है। हर 10 में से एक मौत तंबाकू के सेवन से होती है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धूम्रपान करने वाला देश है। यदि भविष्य में भारत के युवाओं को बचाना है,
तो हमें टिपू सुलतान की नशा मुक्त राष्ट्र की नीति को अपनाना होगा और सभी प्रकार के नशीले पदार्थों पर सख्त प्रतिबंध लगाना होगा। देश के युवाओं तथा जनता की ज़िंदगी से खेलकर किस तरह की कमाई होगी?
यह लोकतंत्र का मजाक है।
किसानों को कृषि के लिए पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए, इस उद्देश्य से टिपू सुलतान ने कावेरी नदी पर मही नामक बांध की नींव रखी थी।
1911 में खुदाई के दौरान वहाँ एक शिलालेख मिला, वास्तव में यह आधारशिला था। इसका अनावरण टिपू सुलतान ने किया था।
आज सरकार भूमि अधिग्रहण कानून लाकर किसानों की पारंपरिक ज़मीनें पूँजीपतियों के मुँह में डाल रही है।
और उधर टिपू सुलतान ने सरकारी जमीन किसानों को खेती करने के लिए मुफ्त में दी। ऊपरसे 1/4 भाग राजस्व का माफ किया और किसानों के वंशजों के कब्ज़े में जमीन को हमेशा के लिए देकर, किसानों की खेती हड़पने की कोशिश करने वाले को मानव जाति का दुश्मन बताया।
आज आजाद भारत में 3.5 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसानों की इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं रही।
हजरत टिपू सुलतान r a ने कृषि पूरक व्यवसाय शुरू किए।
ज़मीनदारी प्रथा को खत्म किया और कर्मचारियों की नियुक्ति।
रेशम उद्योग को किसानों के लिए एक साइड बिजनेस के रूप में बढ़ावा दिया। कई झीलों, बांधों और नालों की मरम्मत कराई।
गरीब किसानों को बीज और औजार के रूप में ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया।
किसानों की उपज पर प्रक्रिया कर उत्पादों को तैयार किया गया था। नतीजतन, किसानों के माल को उचित मूल्य मिल रहा था।
एक अंग्रेज अधिकारी कर्नल लिटिल का कहना है, कि वह टिपू सुलतान की कृषि नीति से प्रभावित थे। वह अपनी किताब में लिखते हैं, पूरे मैसूर में खेती की स्थिति बहुत अच्छी थी।
राज्य में कहीं भी बंजर भूमि नहीं है।
टिपू सुलतान के अनुसार, कृषि राष्ट्र की जीवनदायिनी है।
जिस प्रकार रक्त वाहिकाएँ रक्त की आपूर्ति करके शरीर को जीवित रखती हैं, उसी प्रकार कृषि भोजन का उत्पादन करके देश को जीवित रखती है।
आज देश को वास्तव में टिपू सुलतान की सामाजिक और कृषि नीति की जरूरत है।
पश्चिमी देशों की लाचारी से देश को बचाने के लिए टिपू सुलतान ने व्यापार और उद्योग को प्रोत्साहन दिया।
राज्य में विभिन्न विनिर्माण कारखानों की स्थापना की। व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले गए।
टिपू सुलतान एक सहिष्णु राजा थे। उन्होंने 156 मंदिरों को दान दिए, इसके साक्ष्य आज भी मैसूर गजेटियर में उपलब्ध हैं।
टिपू सुलतान के बारे में, महात्मा गांधी ‘यंग इंडिया’ के 23 जनवरी, 1930 के अंक में लिखते हैं, “टिपू सुलतान एक सच्चे धार्मिक सहिष्णु थे। अंग्रेजों ने टिपू सुलतान को बदनाम किया।
टिपू सुलतान के महल के चारों तरफ श्री वेंकटरमण, श्रीनिवास, श्रीरंगनाथ मंदिरों का होना इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि टिपू सुलतान धार्मिक रूप से सहिष्णु था। वह हिंदुओं से प्यार करता था।
हजरत टिपू सुलतान r a दुनिया के पहले मिसाइल मैन थे। बाद में अंग्रेज़ मिसाइल अपने साथ ले गए और उसमें संशोधन कर युद्ध में इस्तेमाल किया।
डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने इस बात को स्वीकार किया कि, उन्हें मिसाइल बनाने की प्रेरणा टिपू सुलतान से मिली।
वे अपनी आत्मकथा ‘अग्निपंख’ में लिखते हैं, “मैंने नासा के एक सेंटर में टिपू की सेना की राॅकेट वाली पेंटिंग देखी थी।
मुझे यह लगा कि धरती के दूसरे सिरे पर युद्ध में सबसे पहले इस्तेमाल हुए राॅकेट और उनका इस्तेमाल करने वाले सुलतान की दूरदृष्टि का जश्न मनाया जा रहा था।
वहीं हमारे देश के लोग यह बात या तो जानते नहीं या उसको तवज्जो (महत्व) नहीं देते।”
इस तरह हजरत टिपू सुलतान r. a. न केवल एक राजा है, बल्कि राष्ट्रीय और सामाजिक एकता को प्रेरित करने वाली और देश को एक महाशक्ति बनाने वाली विचारधारा है।
सरफराज शेख द्वारा लिखित ‘सल्तनत ए खुदादाद’ ग्रंथ में अधिक विस्तृत जानकारी है।
पाठक इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।
सभी देशवासियों को टिपू सुलतान के यौमे विलादत के मौके पर हार्दिक बधाई ,शुभकामनाए। मुबारकबाद।

साभार:निसार शेख

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