मांओं का यानी मदर्स डे मनाना अज अल्लामा मुहद्दीस हातिम बिन आरिफ अल अवनी, आलमी सतह पर मदर्स डे या उसका त्योहार मनाना नही है हराम

मांओं का आलमी दिन मनाना अज़ अल्लामा मुहद्दिस हातिम बिन आरिफ अल अवनी:
आलमी सतह पर मदर्स डे या उसका त्यौहार, हराम नहीं है,
ये कोई मज़हबी त्यौहार नहीं है जिससे रोका जाए, और ये उस किस्म की मुशाबहत कुफ़्फ़ार से नहीं है जो हराम है, इसलिए उनकी तक़लीद की मुमान’अत का हुक्म इस पर नहीं लगाया जा सकता।

और नागवार बात ये है कि जो लोग इस दिन को इस दलील के साथ मना करना चाहते हैं कि मांओं का दिन हर रोज़ मनाया जाए तो इस दलील से रमज़ान, हज, जुमा, रात का तीसरा हिस्सा जैसी कोई अच्छी चीज़ रखना सही नहीं है,

क्योंकि अल्लाह त’आला के क़रीब हर वक़्त होना चाहिए सिर्फ़ उन मख़्सूस अवकात में नहीं। और ज़ाकिर की आमद को बढ़ाने, भूले हुओं को याद दिलाने और इस्लाह का दरवाज़ा खोलने के लिए अच्छी मिसाल रखना (शरी’अत) में मना नहीं है। इसी तरह ये मदर्स डे भी इससे भी मना नहीं किया गया है, क्योंकि ज़ाकिर की आमद में इज़ाफा होता है, भूलने वालों को याद दिलाता और उससे ग़फ़लत बरतने वालों की इसलाह का दरवाज़ा खुल जाता है। दुनिया में मां के जैसा कोई भी नही है जिसके कदमों तले जन्नत है।

मीडिया डीटेक्शन न्यूज़ चैनल की तरफ से मदर्स डे की J सभी मांओं को दिल्ली मुबारक बाद।बधाइयां

संवाद: मो अफजल इलाहाबाद

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