मरीजों से दवाई की फीस सिर्फ ₹.2 लेने वाला डॉक्टर भगवान का रूप नही होता है, क्या ?

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रिपोर्टर.

यह लाइन डॉक्टर थीरुवेगड़म पर बिल्कुल ठीक बैठती है 67 वर्षीय डॉक्टर जिनको हम भगवान का दूसरा रूप बोले तो गलत नहीं होगा 44 वर्षों से यह डॉक्टर चेन्नई में मरीजों की सेवा कर रहा है और मरीजों का परीक्षण करने के लिए केवल 2 रुपये फीस लेता है ।

स्टेनले मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर के आज वह गरीबों की सेवा कर रहे हैं उनकी इस सेवा से दूसरे डॉक्टर उनसे काफी नाराज रहते हैं।

और उनके ऊपर दबाव बनाया जाता है वह भी अपनी फीस बढ़ाएं अब डॉक्टर साहब ने अपनी फीस में कुछ बढ़ोतरी करी है पहले वह दो रुपए लेते थे अब वह ₹5 लेने लगे है ।
काश सब डॉक्टर थीरुवेगड़म की तरह हो जाए ।

मैं यह नहीं कहता डॉक्टर ₹2 या ₹5 फीस ले पर डॉक्टरों को अपनी प्रेक्टिस में एक लक्ष्य बनाना चाहिए वह दिन भर में केवल दो गरीब मरीजों को निशुल्क देखेंगे मैं मानता हूं डॉक्टरों पर भी उनके परिवार की सारी जिम्मेदारियां होती हैं अगर वह ₹2 और ₹5 फीस लेंगे तो वह अपना खर्चा और अस्पताल का खर्चा कैसे उठाएंगे ।
डॉक्टर्स इतनी फीस क्यों लेते हैं इसके बारे में कभी हमने सोचा है।

आज की तारीख में एक डॉक्टर को बनने में 2 करोड रुपए खर्च होना एक मामूली सी बात है आज प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस इतनी है।
एक आम व्यक्ति अपने बच्चों को इन मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाना संभव नहीं है ।
सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत कम हो और कॉलेज की सीटें अधिक हो क्योंकि आज भी भारत में 1000 व्यक्तियों पर केवल एक डॉक्टर मौजूद है ।
वहीं दूसरी ओर लालची डॉक्टर भी मौजूद है मोटी फीस लेते हैं.

जितने मेडिकल टेस्ट होते हैं उस पर उनको भारी कमीशन मिलता है और दवाओं के पैसों पर भी उनका हिस्सा होता है ।

मैं डॉक्टरों से यह अपील करता हूं आप लोग पैसा कमाए पर एक हद तक लाशों को वेंटिलेटर पर रखकर पैसा ना कमाए ।
क्योंकि एक ना एक दिन हम सबको ऊपर वाले को अपना मुंह दिखाना है !

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