भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी देशवासियों को बार बार बता रहे थे कि उन्हें पार्लियामेंट में बोलने से ना सिर्फ रोका जाता है बल्कि उनकी आवाज म्यूट करदी जाती है!

“राहुल गांधी को बोलने दो!

अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड कहता रहा, “आइ कां’ट ब्रेद! लेकिन पुलिसकर्मी उसे जमीन पर लिटाकर अपने घुटने से उसका गला दबाता रहा और आखिरकार उस बेकसूर व्यक्ति की दम घुटने से मौत हो गई। नतीजतन सारा अमेरिका सड़कों पर उतर आया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को न सिर्फ एक पुलिस अधिकारी से मुंह बंद रखने की डाट सुननी पड़ी बल्कि उन्हें बंकर में छिपना भी पड़ा।।

अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी देशवासियों को बार-बार बता रहे थे कि हमें पार्लियामेंट में बोलने से न सिर्फ रोका जाता है बल्कि उनकी आवाज म्यूट कर दी जाती है। वह वीभत्स दृश्य कल संसद में साफ-साफ देखा गया, जब विपक्षी दलों के सदस्यों की आवाजें न केवल लगातार 18 मिनट तक म्यूट कर दी गईं, बल्कि सदन सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

इसकी वजह है, गत दिनों राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में मोदी और गौतम अडाणी के रिश्तों पर उठाए सवालों तथा उनके हालिया इंग्लैंड दौरे में कही गई बातों से घबराए हुए मोदी सरकार द्वारा राहुल गांधी के विरुद्ध अपनाया गया अराजक और अनैतिक रवैया। उनको देशविरोधी और यहां तक कि देशद्रोही बताने की घटिया और नीच हरकत।

भेड़ियों के झुंड में बदल गये मोदी सरकार के नेताओं ने राहुल गांधी के विरुद्ध घृणा अभियान चला रखा है कि उन्हों ने विदेश जाकर देश को बदनाम किया। लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी. नड्डा सहित किसी भी नेता ने यह नहीं बताया कि राहुल गांधी के वे कौन-से शब्द थे जिनसे देश की बदनामी हुई।

गौतम अडाणी और उसके विदेशी नागरिक भाई विनोद अडाणी द्वारा भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर दुनियाभर में कुख्यात टेक्स हैवन देशों से अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश करने तथा नरेंद्र मोदी द्वारा अडाणी समूह के कालेधन के कारोबार को बढ़ावा देने पर देशभर में उठती आवाजों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मोदी की सरकार द्वारा पूरी ताकत राहुल गांधी को लोकसभा के भीतर और उसके बाहर भी बोलने से रोकने पर लगा दी गई है।

मोदी सरकार के इस अलोकतांत्रिक रवैए पर 16 प्रमुख विपक्षी दलों ने एकजुट होकर लोकसभा में “राहुल गांधी को बोलने दो” के जबरदस्त नारे लगाए। इसी दौरान विरोध की उन आवाजों को दबाने के लिए उन्हें म्यूट कर दिया गया।

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अडाणी के गोरखधंधे के खुलासे को भारत के विरुद्ध बताने वाले स्वघोषित हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानसेवक मोदी क्यों नहीं संयुक्त संसदीय समिति गठित कर रहा है? आखिरकार इस पर आगे बढ़ने में उसके कदम क्यों लड़खड़ा रहे हैं? इस मुद्दे पर बात करने में उसका गला क्यों म्यूट हो जाता है? चंद दिनों में ही गौतम अडाणी द्वारा आसमान छूता आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने में स्वघोषित देश के ‘चौकीदार’ मोदी की भूमिका क्या है?

मामले से जुड़े इन जैसे तमाम सवालों की जवाबदेही स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी भाजपा और गौतम अडाणी के बचाव में उतर आये नेतृत्व की नहीं तो और किसकी है?
यदि राहुल गांधी ऐसे सवाल पूछ रहे हैं तो क्या ग़लत है? आखिरकार क्यों ये मोदी सरकार लोग पूरे देश का गला दबाकर इसे अमेरिकी पुलिसकर्मी द्वारा जॉर्ज फ्लॉयड की तरह खत्म कर देना चाहते हैं?

साभार
कांग्रेसी नेता

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