दो दिवसीय वनवासी लीला का भव्यआयोजन आज और कल पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होगा

जुन्नारदेव
संवाददाता
मनोज डोंगरे

श्रीरामकथा साहित्य पर आधारित होगा लीला प्रस्तुतीकरण

जुन्नारदेव। बालाघाट और बैतूल के कलाकारों की प्रस्तुति मध्यप्रदेश शासन की संस्कृति विभाग का अनूठा आयोजन नगर के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आजा और कल को भगवान श्रीराम की वनवासी लीला के तहत महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

यह कार्यक्रम स्थानीय पंडित नेहरू स्टेडियम में शाम 7:30 बजे से प्रारंभ होगा। इस हेतु पंडित नेहरू स्टेडियम में विशालकाय चमचमाता रंगमंच तैयार हो चुका है। यहां पर श्री राम कथा साहित्य में वर्णित चरितों की लीला प्रस्तुतियां की जाएंगी। यह आयोजन मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के द्वारा किया जा रहा है। इस निशुल्क प्रवेश के आयोजन में शहर के समस्त धार्मिक जन सहित आम रसिक श्रोता को आमंत्रित किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश शासन के संस्कृत विभाग के इस आयोजन के प्रथम दिवस 24 मई 2022 को बालाघाट के रूप कुमार बनवाले के निर्देशन में भक्तिमति शबरी की लीला का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा, तो वहीं दूसरे दिन 25 मई 2022 को बैतूल के राकेश वरवड़े के निर्देशन में निषादराज गुहा की लीला का प्रस्तुतीकरण होगा। इस समस्त कार्यक्रम का संगीत संयोजन मिलिंद त्रिवेदी के द्वारा किया जाएगा जबकि आलेख योगेश त्रिपाठी का होगा।

महत्वाकांक्षी आयोजन का नहीं हुआ पर्याप्त प्रचार-

प्रसार, रसिक श्रोताओं को आयोजन की नहीं है जानकारी मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के इस अति महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय पंडित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आज 24 और 25 मई 2022 को होना है, लेकिन इस कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार अब तक नहीं होना घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है।

गौरतलब है कि इस आयोजन को लेकर शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग का अभाव है तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय मीडिया को इस बड़े आयोजन की अब तक जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा औपचारिकता पूर्ण करने के लिए एकमात्र ऑटो से ही इस कार्यक्रम का प्रचार होना अभी ही शुरू हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग का यह उद्देश्य है कि श्री रामचरितमानस में श्री राम से जुड़े आदिवासी चरित्र का आम जनता को संगीतमय आयोजन के द्वारा जानकारी देना है।

लेकिन इस आयोजन के संदर्भ में प्रचार प्रसार का अभाव होने के कारण संभव है कि पर्याप्त अपेक्षित मात्रा में यहां दर्शकों का पहुंचना संभव नहीं हो सकता है। इसके लिए प्रशासन को चाहिए कि वह इस अति महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी स्वयं लेकर इस बड़े खर्चे वाले आयोजन की प्रासंगिकता को जनहित में सिद्ध कर देवें।

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