देश पूछना चाहता है,दुनिया भर में फजीहत के सिवा कुछ भी नही फिर भी वजीर आजम मदहोश ? जैसे कुछ हुआ ही नहीं क्या मेसेज दोगे दुनिया को, है कोई जवाब?
एडमिन
उन्नीस से इक्कीस दिसम्बर तक दिल्ली और हरिद्वार में द्दर्म संसद के नाम पर भगवा पहने कुछ गुण्डों की तकरीरों, फिर रायपुर में कालीचरण नाम के एक गुण्डे के जरिए गांद्दी को गालियां बके जाने और क्रिसमस के मौके पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड और कर्नाटक जैसी बीजेपी सरकारों वाली रियासतों में ईसाइयों के खिलाफ हुई गुण्डागर्दी और हिंसा, हरियाणा के अंबाला में चर्च में लगी 1847 की ईसा मसीह की मूर्ति के तोड़े जाने के वाक्यात,
दुनिया भर के मीडिया में नुमायां तौर पर छाए रहे, पूरी दुनिया में भारत की बदनामी, तौहीन और फजीहत होती रही, लेकिन वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह के मुंह से इन तमाम वाक्यात के खिलाफ एक लफ्ज भी नहीं निकला।
एडवांस मीडिया के दौर में इन तमाम वाक्यात की वीडियो और आडियो देखते ही देखते पूरी दुनिया में वायरल हो जाते हैं।
इस साल पहली बार ऐसा हुआ है कि बीजेपी सरकारों वाली रियासतों में भगवा गुण्डों के जरिए ईसाइयों और चर्चा के खिलाफ हिंसा और हंगामे किए गए।
मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने वाली बयानबाजी और हिंसा को तो पच्छिमी दुनिया का मीडिया हमेशा से ही नुमायां तौर पर शाया, टेलीकास्ट और ब्राडकास्ट करता रहा है।
इस साल बड़े पैमाने पर ईसाइयों के खिलाफ हुए हिंसा के वाक्यात ने आग में घी का काम कर दिया है।
क्रिसमस के मौके पर चर्चों, मिशनरी स्कूल-कालेजों और दीगर जगहों पर होने वाले जलसों में जिन लोगों ने जाकर जय श्रीराम का नारा लगाते हुए हंगामे और मार-पीट की हर जगह ऐसे लोगों की तादाद पचास से सौ के दरम्यान ही दिखी।
इससे जाहिर होता है कि देश के हिन्दुओं की अक्सरियत न तो मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में पड़ना चाहती है और न ईसाइयों के खिलाफ। भगवा पहने कुछ गुण्डे जिन्होने हिन्दुत्व और हिन्दू मजहब को अपनी कमाई का जरिया बना रखा है वही यह सब हंगामे करते फिरते हैं।
वह भी बीजेपी सरकारों वाली रियासतों में ताकि पुलिस की पुश्तपनाही उन्हें हासिल रहे।
अफसोस इस बात का है कि हिन्दुओं की अक्सरियत जो इन गुण्डों के साथ नहीं है वह इनके खिलाफ भी नहीं खड़ी होती।
इसलिए इनके हौसले बढते जाते हैं।
जब तक सही और सेक्युलर नजरियात के आम हिन्दू इन गुण्डों के खिलाफ खडे़ नहीं होंगे इनकी हरकतें जारी रहेंगी और पूरी दुनिया में देश की थू-थू और तौहीन होती रहेगी।
रायपुर की धर्म संसद जिसे कालीचरण नाम के एक गुण्डे ने ‘शर्म संसद’ बना दिया।
उसने तो सीधे-सीधे बाबा-ए-कौम (राष्ट्रपिता) महात्मा गांधी और उनसे भी ज्यादा उनकी वालिदा पुतलीबाई को गालियां बकीं, उसने गांधी को हरामी और ‘महा हरामी’ तक कह डाला। इसका तो सीधा मतलब यही है कि उसने गांधी से ज्यादा उनकी वालिदा पुतलीबाई की तौहीन की चूंकि छत्तीसगढ में बीजेपी की सरकार नहीं है कांग्रेस सरकार ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की और तीन दिन के अंदर मध्य प्रदेश के खजराहो से उसे गिरफ्तार करा लिया।
उसपर राजद्रोह की दफा भी लगा दी गई, सेशन कोर्ट तक से उसकी जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी है और वह जेल की हवा खा रहा है।
क्या वजीर-ए-आजम मोदी, होम मिनिस्टर अमित शाह और आरएसएस के चीफ मोहन भागवत को इस शर्मनाक वाक्ए की इत्तेला नहीं है।
जरूर होगी, लेकिन किसी के मुंह से कालीचरण जैसे गुण्डे के खिलाफ एक लफ्ज भी नहीं निकला!
इससे पहले हरिद्वार में सत्रह-उन्नीस दिसम्बर को भगवा पहनने वाले बहुत बड़े गुण्डे नरसिंहानंद की बुलाई हुई धर्म संसद या शर्म संसद में प्रबोधानंद गिरि, पूजा शकुन पाण्डे से अन्नपूर्णा बनी अलीगढ की बदजुबान खातून चंद रोज पहले ही हिन्दू बने वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र नारायण त्यागी, खुद नरसिंहानंद समेत दर्जनों लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला।
पूजा शकुन पाण्डेय ने यह तक कहा कि वह सौ जवानों की फौज बनाएगी और बीस लाख मुसलमानों का कत्ल कराएगी।
प्रबोधानंद ने भारत में मुसलमानों के साथ म्यांमार (बर्मा) जैसा बर्ताव करने की बात कही।
नरसिंहानंद ने कहा मुसलमान खुद हिन्दू मजहब में आ जाएं वर्ना उन्हें जबरदस्ती हिन्दू बनाया जाएगा!
इस( शर्म)धर्म संसद में हिन्दुओं से कहा गया कि वह अपने घरों में उम्दा किस्म की तलवारें और दूसरे हथियार रखें।
इस मामले में नरसिंहानंद, जितेन्द त्यागी, प्रबोद्दांनद, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चहवाण के, अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, धर्म दास परमानंद और सिंद्दु सागर के नाम रिपोर्ट तो दर्ज हो गई, लेकिन इतने दिन गुजर जाने के बावजूद उत्तराखण्ड पुलिस ने इनमें से किसी को गिरफ्तार नहीं किया। क्योकि वहां बीजेपी की सरकार है।
छत्तीसगढ पुलिस ने कालीचरण को मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया तो मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा बिलबिला उठे और गिरफ्तारी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे।
उत्तराखण्ड सरकार मुसलमानों के खिलाफ आग उगलने वालों के नाम नामजद रिपोर्ट होने के बावजूद उनको गिरफ्तार नहीं करा रही है। वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह खामोश हैं।
आखिर यह लोग दुनिया को क्या पैगाम देना चाहते हैं?
क्या प्रबोधानंद जैसे भगवा पहन ने वाले गुण्डों की यह औकात है कि वह भारत को भी म्यांमार बना दें!
आखिर वजीर-ए-आजम इस पर खामोश क्यों हैं।?जबकि यह बहुत संगीन मामलात है।
अगर मोदी इसी तरह खामोश रहे तो पूरी दुनिया में यही मैसेज जाएगा कि इन गुण्डों के पीछे बीजेपी, आर एस एस, और मोदी सरकार की पूरी ताकत है।
नायब सदर जम्हूरिया वेंक्या नायडू ने तीन जनवरी को यह बयान देकर देश की थोड़ी लाज रख ली कि साधू हों या कोई और सब अपने-अपने मजहब पर चलें दूसरे लोगों और उनके मजहब को बुरा भला न कहें।