देश के पहले प्रधानमंत्री स्व.पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने अपने जीवन मे इंदिरा गांधी को कभी भी चुनाव लड़ने से क्यो मना किया था ?

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रिपोर्टर.

सरदार पटेल के दो बच्चे थे. मणिबहन पटेल उनकी बेटी थीं और डाह्याभाई उनके बेटे थे।

सरदार पटेल की मृत्यु के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा।

मणिबहन पटेल दक्षिण कैरा लोकसभा सीट से १९५२ में और आनंद सीट से १९५७ में कांग्रेस के टिकट पर चुनी गयीं ।
१९६२ में गैप हो गया तो जवाहरलाल ने उनको छः साल के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित करवाया ।

वहीं अपनी बेटी इंदिरा गांधी को उन्होने अपने जीवन में कभी भी चुनाव नहीं लड़ने दिया।
मणिबहन बहुत ही परिपक्व राजनीतिक कार्यकर्ता थीं।
उन्होंने १९३० में सरदार की सहायक की भूमिका स्वीकार की और जीवन बहर अपने पिता के साथ ही रहीं ।
यह बात नेहरू जी ने एक से अधिक अवसरों पर कहा और लिखा है।

मणिबहन के नाम पर ही वह शहर बसा है मणिनगर जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।
सरदार पटेल की दूसरी औलाद डाह्या भाई पटेल मुम्बई में एक बीमा कंपनी में काम करते थे । वे मणिबहन से तीन साल छोटे थे ।

जब सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री बने तो उनके सेठ ने डाह्याभाई को किसी काम से दिल्ली भेजा।
सरदार पटेल ने शाम को उनके खाने के समय समझाया कि जब तक मैं यहाँ काम कर रहा हूँ , तुम दिल्ली मत आना!

वे भी कांग्रेस की टिकट पर १९५७ और १९६२ में लोक सभा के सदस्य रहे ।
बाद में १९७० में राज्य सभा के सदस्य बने और मृत्युपर्यंत रहे।

यह सूचना उन लोगों के लिए है जो अक्सर कहते पाए जाते हैं कि जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल के बच्चों को अपमानित किया था?

बाल दिवस के उपलक्ष्य में स्व.पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को मीडिया डीटेक्शन टीम की जानिब करोड़ो की तादाद में प्रणाम।

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