जाने कौन है इस्लाम की पहली शहीद खातून ?

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रिपोर्टर:-

जिस तरह सबसे पहले इस्लाम के दामने रहमत से वाबस्ता होने का ऐज़ाज़ एक मुअज़्ज़ज़ खातून हज़रत खदीजा तुल कुबरा رضی اللّٰہ عنہا को हासिल हुआ ,
उसी तरह सबसे पहले हक़ की राह में जान का नज़राना पेश करने की सआदत भी एक खातून को हासिल हुई।
ये खातून हज़रत सुमैया رضی اللّٰہ عنہا थीं- आप हज़रते अम्मार رضی اللّٰہ تعالیٰ عنہ की वालिदा माजिदा थीं- जिन्होंने नामूसे रिसालत के तहफ्फुज़ के लिए अपनी जान की कुर्बानी पेश की।
इस्लाम क़ुबूल करने के साथ ही उनके जज़्बा ए ईमानी को तरह तरह से आज़माया गया लेकिन जान का खौफ भी उनके जज़्बा ए ईमानी को शिकस्त ना दे सका।
रिवायात में मज़कूर है कि उन्हे गर्म कंकरियों पर लिटाया जाता.लोहे की ज़िरह पहना कर धूप में खड़ा कर दिया जाता।
लेकिन तिश्ना लबों पर मुहब्बते रसूल के फूल खिलते रहे और पाये इस्तक़लाल में ज़र्रा भी लग़जिश ना आई!
औरत तो नाज़ुक आबगीने का नाम है, जो ज़रा सी ठेस से टूट जाते हैं।
लेकिन हज़रते सुमैया رضی اللّٰہ عنہا ईमान का सिसारे आहनी (लोहे की दीवार) बन गईं-।
रिवायत है कि अबूजहल ने उनके पेट पर बरछी का वार किया जिससे वो शहीद हो गईं- ये इस्लाम की पहली शहीद खातून हैं जिनको हिजरत से पहले शहीद कर दिया गया ।
और ये वो खातून हैं जिन्होंने मक्का मुकर्रमा में इस्लाम के इब्तिदाई दौर में अपने इस्लाम का ऐलानिया इज़हार किया था।
ابن ابي شيبه، المصنف، 7 : 13، رقم : 233869
عسقلاني، فتح الباري، 7 : 24، رقم : 53460
مزي، تهذيب الکمال، 21 :
216، رقم : 34174

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