कोरोना वेक्सीन दवा कम्पनीयो का कबतक चलता रहेगा मुनाफाखोरी का गोरखधन्धा ?

images (26)

रिपोर्टर:-

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रा जेंका वैक्सीन पर खुश होने वालों की मूर्खता से हैरत में नहींहै।
असल में विज्ञान से हमारी दूरी उतनी ही है, जितनी चांद-सितारों से।
इसलिए हम गाय-गोबर से ज़्यादा सोचना नहीं चाहते।
एस्ट्रा जेंका की कोरोना वैक्सीन दो खुराक में ही कारगर हुई है।

जिन 10 लोगों में कोरोना के लिए अधिकतम प्रतिरोधकता पाई गई है, उन्हें दूसरा बूस्टर डोज भी देना पड़ा है।
दुनिया को छोड़ दें, सिर्फ भारत की ही बात करें ।
तो सोचिये कि 136 करोड़ लोगों को एक वैक्सीन की खुराक को दो बार देने में कितना समय और खर्च लगेगा।
चीन में जो दो वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, वह भी दो खुराक का है।
अभी यह भी तय नहीं है कि वैक्सीन की खुराक कब तक प्रभावी रहेगी?

अगर वैक्सीन से बनी कोरोना प्रतिरोधकता एक साल तक ही रहती है तो समझिए यह दवा कंपनियों का बड़ा खेल है।
साल-दर-साल वैक्सीन का खर्चीला खेल चलेगा।
भारत जैसे देशों में जहां कोई दूसरी ख़ुराक़ नहीं लेगा,
उसकी कोरोना प्रतिरोधकता कम हो जाएगी और वह कोरोना का आसान शिकार बनेगा।
एस्ट्रा जेंका इसी साल वैक्सीन की 13 करोड़ ख़ुराक़ ब्रिटेन में उपलब्ध कराएगी।
भारत जैसे ग़रीब और विकासशील देशों में एक वैक्सीन की 2 खुराक सभी लोगों को देना, कोल्ड चेन को बरकरार रखना और समयबद्ध तरीके से मुफ़्त या रियायती दर पर टीकाकरण करना नामुमकिन सा है।

भारत में कोवेक्सीन का अभी ट्रायल शुरू ही हुआ है।
इसकी रोग प्रतिरोधकता के नतीजे आने में काफी वक्त लगेगा।
लेकिन यह तय है कि कोरोना वैक्सीन दो ख़ुराक़ में उपलब्ध होने जा रही है। इसी में मुनाफ़ा है?
शायद हम बीमार से लड़ने जा रहे हैं। बीमारी से नहीं।

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT