आखिर सबकुछ छोड़ लक्षद्वीप में ये क्या हो रहा है?

download – 2021-05-26T212525.812

रिपोर्टर:-

क्या आप जानते हैं कि कभी खबरों में ना रहने वाला खूबसूरत है, लक्षद्वीप एक नये और कठिन समय से गुजर रहा है।

इसका कारण है हाल ही में नियुक्त किए गये लक्षद्वीप के नये प्रशासक प्रफुल कुमार पटेल जो गुजरात के गृह मंत्री भी हैं।
नियुक्त होते ही प्रफुल पटेल ने वहां की व्यवस्था और कानून को बदलना शुरु किया ताकि उसे संघ और मोदी सरकार के एजेंडे के अनुरुप लाया जा सके।

ज्ञातव्य है कि लक्षद्वीप में 97% मुस्लिम आबादी रहती है और वहा सिर्फ एक संसदीय सीट है जो NCP के पास है।
लक्षद्वीप के आय का मुख्य श्रोत मछली पकड़ना, पशुपालन और नारियल ही हैं।

उसके अलावे सरकार के अधीन पर्यटन उद्योग भी खूब चलता है, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग काम करते हैं।
इस जगह का व्यापारिक संबंध मुख्यतः केरल, मॉलदीव और मध्य पूर्व के देशों से है।
यहां सेना का एक छोटा एअरबेस और पोर्ट भी है जिससे वो अरब सागर में निगरानी करती है।

लक्षद्वीप कोरल चट्टानों का एक खूबसूरत समूह है, जो युनेस्को द्वारा संरक्षित हैं।
यहां सीमित मात्रा में पर्यटन की अनुमति है तथा किसी प्रकार का खनन व्यवसाय नहीं है।
प्रदूषण को कम रखने के लिए सड़के और गाड़ियां काफी कम हैं।
कहा जाता है कि अगर 1.5 डिग्री तापमान बढ़ जाए और प्रदूषण दिल्ली की आधी भी हो तो ये द्वीप समूह अगले दस वर्षों में समाप्त हो जाएगा।
इन सारी बातों को दरकिनार करते हुए नये प्रशासकीय आदेश जारी किए गये।

2020 में लक्षद्वीप कोरोना से अछूता रहा, कारण था इसको देश के मुख्य भूभाग से कटे रखना।
नये आदेश में कोविड नियमों को बदल दिया गया।
परिणाम 2021 में 367 केस और 22 मौतें। नियम बदलने के लिए स्थानीय प्रशासन के लोगों से कोई राय नहीं ली गयी।
उन सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया जिन्होंने बीते वर्ष CAA/NRC का प्रोटेस्ट किया था।
सबसे कम क्राईम रेट होने के बावजूद, अन्य भाजपा राज्यों की भांति यहां गुंडा एक्ट लागू किया गया,
जिसका लक्ष्य वो लोग होंगे जो भविष्य में मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे।

मांसाहार को स्कूल के भोजन के मेन्यू से हटा दिया गया है।
वैसे ही जैसे भाजपा शासित दूसरे राज्यों में हटाया जाता रहा है, संस्कारों की दुहाई देकर।
बीफ के स्लाउटर हाउस को बंद कर दिये गये हैं और उसे प्रतिबंधित घोषित कर, उसके किसी तरह के परिवहन को अपराध घोषित कर दिया गया है। उसके अलावे अन्य किसी तरह के मांस के व्यापार के लिए भी पहले से अनुमति लेनी पड़ेगी।
ये कानून वहां बनाया गया है जहां की 99% आबादी मांसाहार पर निर्भर हैं।

दो से अधिक बच्चों वाले पंचायत सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया है।
जबकि मोदी सरकार या अन्य किसी राज्य सरकार ने इस तरह का कोई कानून और कहीं लागू नहीं किया है।
38 आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। गरीब बच्चों के सामने पोषाहार का संकट खड़ा हो गया है।
बाईपोर पोर्ट को बंद कर दिया गया है जो लक्षद्वीप को केरल से जोड़ता है।
उसकी जगह सिर्फ मैंगलोर(कर्णाटक) के पास वाले पोर्ट के उपयोग की ही अनुमति है।

इसका मुख्य उद्देश्य केरल को लक्षद्वीप के रुट से मॉलदीव और मध्यपूर्व के देशों तक व्यापार करने में कठिनाई उत्पन्न करना है।
जिसके सहारे लक्षद्वीप के सैंकड़ो लोगों की आजीविका चलती है।
पुरानी coast guard act को समाप्त कर दिया गया है और मछुआरों के उपयोग में लाई जा रही शेड्स और छोटी इमारतों को गिरा दिया गया है।
लक्षद्वीप के लोगों के आय के मुख्य श्रोत को चोट पहुंचाई जा रही है ताकि फिशिंग से जुड़ी कुछ गुजराती कम्पनियों का वहां एकछत्र राज हो सके।

सैकड़ो डेयरी उद्योगों के लाईसेंस गुणवत्ता के आधार पर कैंसिल कर दिए गये है। उसकी जगह अब गुजरात का अमूल प्रोडक्ट हर जगह दिखाई देने लगा है।
सरकार के अधीन चल रहे पर्यटन केंद्रों का नीजिकरण किया जा रहा है और बाहर के बड़े बड़े उद्योगपति उसे लेने और चलाने आ रहे हैं।
सैकड़ों टेम्पररी और कैजुअल कर्मचारियों को सरकारी अंफिस से निकाल दिया गया है और उसकी पूर्ती लक्षद्वीप के बाहर के लोगों से की जा रही है।

CRD act को बदल दिया गया है ताकि विकास के नामपर बड़े बड़े कॉरपोरेट को बड़े बड़े रोड और बिल्डिंग बनाने का ठेका दिया जा सके।
जानकारी के लिए बता दूं कि आदानी पोर्ट को ऑस्ट्रेलिया से अपना पोर्ट बिजनेस समेटना पड़ा था क्यूंकि उसके प्रदूषण और अत्याधिक निर्माण कार्य की वजह से ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ जो कि लक्षद्वीप की तरह ही कोरल रीफ का बना है, को नुकसान पहुंच रहा था।

आस्ट्रेलियाई लोगों के भारी विरोध के बाद वहां की सरकार ने आदानी पोर्ट को बंद करा दिया।
तर्क दिए जा रहे हैं कि,
लक्षद्वीप सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जगह है, इसलिए उसे मुख्य धारा से जोड़कर रखना बहुत जरुरी है।
वहां के स्थानीय लोग
दूसरे देशों के कट्टरपंथियों से सम्पर्क में रहते हैं जो भारत सरकार के खिलाफ साजिशें करते हैं।
हम लक्षद्वीप को एक और कश्मीर बनने नहीं दे सकते।
लक्षद्वीप के लोग गरीब हैं अतः वहां भी उद्योग धंधों का ‘विकास’ होना चाहिए।
इनके तर्कों से आप समझ सकते हैं कि केन्द्र सरकार की असली मंशा क्या है।

ये सारी बातें तब बाहर आईं जब वहां के सांसद ने इन सब बातों को इकट्ठा कर राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी और पुरानी स्थिति बहाल करने की गुजारिश की।
वहां के लोग भी अब इस cultural and economical fascism के खिलाफ बोलने लगे हैं और डर है कि उपद्रव का बहाना कर उनका दमन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री की किसी चुनावी रैली में आए लोगों से भी कम
की आबादी है। लेकिन ये वहां के लोगों और पूरे द्वीप समूह के अस्तित्व का सवाल है।
इसलिए हम सब को उनकी आवाज बननी पड़ेगी। इस पोस्ट को SaveLakshadweep के साथ हर जगह शेयर करें।

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT