असम की NRC. पर मीडिया को गैर ज़िम्मेदाराना व दोषी ठहराना कितना उचित है ?

images (59)

नई दिल्ली :- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई ने एनआरसी को लेकर पोस्ट कोलानीयल असम किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान जिस प्रकार से मीडिया को ज़िम्मेदार ठहराया है ।

उनकी बात से कुछ पत्रकार कतई भी सहमत नही है।
उन्होंने जिस प्रकार से असम में एनआरसी लागू करने की प्रिक्रिया के आधार पर NRC. में भारी खामियों के चलते उसका ठीकरा मीडिया पर फोड़ने व मीडिया को ज़िम्मेदार ठहराया है ये किसी भी दशा में उचित नही है ।
अव्वल तो यह कि क्योंकि एनआरसी की प्रक्रिया मीडिया संस्थाने नही देख रही थीं और ना ही उस पर किसी प्रकार का ज़िम्मा थोपा गया था ।
मीडिया केवल वही खबरें प्रकाशित कर रही थी जिसमें उसने भारी खामियां देखीं ।
क्योंकि एक प्रकार से अगर कहा जाए तो असम की एनआरसी की इस सूची में जिस प्रकार से देश के वास्तविक नागरिक ही इसकी ज़द में आ गए थे।

क्योंकि ये देश के वास्तविक नागरिकों के उनके आत्म सम्मान के हनन होने का खतरा बना हुआ था ।
या तो उसे आप लचीली प्रिक्रिया का नाम दे सकते हैं।
या फिर अन्यथा कोई और नाम भी दिया जा सकता है।
असम की एनआरसी सूची में जिस प्रकार से वास्तविक नागरिक लोगों को घुसपैठिया दिखाया गया है ।
ये किसी भी प्रकार से उचित नही था ।
मीडिया ने देश की जनता को वही आईना दिखाया जिसमें पारदर्शिता थी, सच्चाई थी ।
अब असम की NRC. की लचीली प्रिक्रिया को मीडिया पर थोपना या उन पर ठीकरा फोड़ना सरा सर ना इंसाफी व बेईमानी होगी ।

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT