सूफी बाबाओ के जो सच्चे खादिम है , अक्सर उन सब पर बाबाओं के रहमो करम की बरसात होती रहती है !

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रिपोर्टर.

हर साल की तरह इस साल भी खादिम जनाब अब्दुल सत्तार एवम मोहम्मद ताहिर दोर्जीवाला बीते 15 साल से हर हमेशा से मुंबई में क़ई ऐसे संत, बाबाओं की मजारात मौजूद है उनके संदल उर्से पाक के मौके पर अपनी तरफ से जितनी भी खिदमत की जा सके इसके खयाल कर उनकी खिदमत में हाज़िर रहकर आर्थिक खर्च का भार संभालते रहे है।

बाबाओं के उर्से के मौक़े पर दूसरे सब काम छोड़कर पहले से ही तैयारियां में लगे रहते है।

बाबाओं के उर्से पाक की खबर को उनके हरेक चाहनेवालों आशिको मुरीदों तक पहुचाने के लिए बड़े बड़े पोस्टर्स और बेनर का स्वयंम के पैसे लगाकर इंतेज़ाम करते रहे है।

इस काम को पुर अंजाम देते वे हरगिज़ थकते नही बल्कि दीलओ जान से मगन रहकर बाबाओ के काम मे खुशी से अपने आपको झोंकने में कोई कसर नही छोड़ते। बल्कि उनका भरोसा है कि ऐसे करने में उन्हें बड़ा सुकुन मिलता है।

बाबाओं के उर्से पाक के मौके पर उनके उर्स कमेटियों और दीगर चाहनेवाले मुरातदिन से चंदा जमा करवाना, लोगों तक संदल उर्से पाक की इत्तिला देना ,सबको एक साथ बुलाना और इसपर तवज्जो देना दरगाह की और चारो ओर ,लाइटिंग करवाना नियाज़ शरीफ,तबरुगात लंगरे आम और कव्वाली प्रोग्राम का इंतेज़ाम करवाना, अकीदतमंदों की खिदमत करना ऐसे कई बेमिसाल काम को तवज्जो देने में अपनी सारी ज़िंदगी बिताते रहे है।

इस लिए इन्हें और उनके फेमिली को सब् सबकी दुआये तो है ही साथ उन बाबाओ के भी उनपर खास नवाजिशे करम है।

जो आजके दौर में ऐसे कठिन कामो को पुर अंजाम देना किसी मामूली शख्स के हैसियत से भी बमुश्किल है।

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