सात वर्ष से चली आ रही दिव्य महापुरुष की सरकार में यूं ऐसे कैसे है अच्छे दिन?

एडमिन

प्रिय मित्रो ये पोस्ट किसी ने मुझे भेजी है, बात मे सच्चाई लगी इसलिए आपकी सेवा मे पेश है।
मैं एक बात नहीं समझ पा रहा हूं कि पहले की सरकार में 1962, 1965, 1971 की भीषण लड़ाईयाँ भी हुई।
पोलियो, प्लेग, CNNहैजा, टीबी जैसी महामारियाँ भी आई।
जिनका मुफ्त में इलाज हुआ।
मुफ्त में पूरे देश का टीकाकरण हुआ।
खरबो का घोटाला भी हुआ, काला धन विदेशों में भेजा गया,
भ्रष्टाचार खूब व्याप्त रहा।
फिर भी बहुत सारे सरकारी कारखाने व कंपनियां स्थापित हुई।
सरकारी अस्पताल, सरकारी कॉलेज, सरकारी स्कूल बनें, सरकारी नौकरियों में कोई कमी नहीं रही।
भत्ता हमेशा लगातार बढ़ता था महंगाई भत्ता 131% तक दिया।
सबसे अधिक वेतन वृद्धि छठे वेतनमान में मिली,
सरकारी कर्मचारियों को पेंशन दिया जाता था, देश की जीडीपी 8% से ऊपर थी.
आखिर यह सब गद्दार चोरों की सरकार कैसे कर लेती थी?
जो दिव्य महापुरुष की सरकार नहीं कर पा रही है।
जबकि विदेशों से काला धन वापस आ गया,
नोटबंदी से देश का काला धन वापस आ गया,
चोरों की सरकार की बनाई गई सरकारी संपत्ति को भी बेचा जा रहा है,
तब भी दिव्य पुरुष की सरकार” नौकरियां, वेतन भत्ते, पेंशन नहीं दे कर किसान, मजदूर और आम नागरिक को टेंशन ही दे रही है।
सभी की नौकरियां चली गयी, सभी NGO से पैसा प्रधानमंत्री रिलीफ ़ फ़ंड में जमा करवा लिया।
कोई युद्ध भी नहीं हुआ,
जीडीपी माइनस मे चल रही है।
और डीजल, पेट्रोल पर सब्सिडी की जगह सरकार टैक्स बढ़ा कर 40 रुपये और कमा रही है।
इन्श्योरेंस और म्यूच्यूअल फण्ड पर भी 18% टैक्स से कमा रही है ,
और फिर भी सबकी जेबे खाली है,
देश के रिज़र्व बैंक में आपातकालीन जमा में से 175 अरब रुपये निकालकर खर्च कर दिये।
अगर कोई बोल रहा है, तो उसको खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चमचा या देशद्रोही बोला जा रहा है?
मेरे विचार से युवाओं को तो कम से कम जाग जाना चाहिये, जो पढ़े लिखे होने का दम भरते है!

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT