ये कैसी बिबता है बहराइच में? बुखार से रोज दम तोड़ रहे दो मासूम, 60 दिन में 128 की मौत, एक बेड पर तीन-तीन मरीज भर्ती !

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बहराइच.

तराई के बहराइच जिले में मौसम परिवर्तन के बाद से मौतों का ग्राफ बढ़ गया है।
15 जुलाई से संक्रामक रोगियों की संख्या में इजाफा होने लगा है।

अलग-अलग तरह के बुखार से दो माह में अब तक 128 लोगों की मौत हो चुकी है।
इनमें दो सगे भाई भी शामिल हैं, जिन्होंने डायरिया व बुखार की चपेट में आकर आठ घंटे के अंतराल में दम तोड़ दिया था।
अस्पताल प्रशासन रोगियों को देर से अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र लाने का ठीकरा अभिभावकों पर फोड़ रहा है ?

लेकिन हकीकत कुछ और बया कर रही है।
बहराइच जिला अस्पताल में न तो संसाधन है न ही सुविधा है, जबकि ये देवीपाटन मंडल का मॉडल अस्पताल है।
हालत ये है कि यहां पीआईसीयू में एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती हैं!

बहराइच जिला अस्पताल में गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर के अलावा नेपाल के भी रोगी पहुंचते हैं।
अभी तक जिला अस्पताल 201 बेड का था।
हाल ही में 100 बेड की बढ़ोतरी हुई है।

लेकिन अब तक 100 बेड पर रोगियों को भर्ती करने के लिए सुविधाएं और संसाधन अस्पताल प्रशासन नहीं जुटा सका है?

जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड की बात करें तो यहां पर जनरल वार्ड में 40 बेड हैं।
प्रतिदिन ओपीडी में इस समय 550 से 800 रोगियों का परीक्षण होता है।

इनमें 65 से 70 रोगी भर्ती करने योग्य होते हैं।
इसके बाद यहां एक बेड पर दो से तीन मरीज लिटाए जा रहे हैं।

जिन्हें बेड नहीं मिलता, वह फर्श पर कराहते हुए या अभिभावकों की गोद में इलाज कराते हैं?
यही हाल पुरुष अस्पताल के वार्डों का है। यहां भी जमीन पर मरीज भर्ती हैं।
आपातकालीन कक्ष में तो और भी दुर्दशा है।
दो माह में बुखार डेंगू और अन्य संक्रामक बुखार से अब तक 128 रोगियों की सांसें थम चुकी हैं!

दो दिन पूर्व आठ घंटे में सगे भाइयों की हुई मौत
फखरपुर विकास खंड के रसूलपुर दरेहटा गांव निवासी मयस्सर अली उर्फ बौरे के छह वर्षीय पुत्र सुफियान और 11 वर्षीय पुत्र अफसर अली की बुधवार को छह घंटे के अंतराल में मौत हो गई।
वहीं, दोनों भाइयों की बहन नगमा (14) का इलाज अभी भी लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।

बीमारियों का मौसम है, इसीलिए बढ़े रोगी’ इस समय बीमारियों का मौसम चल रहा है। ऐसे में मरीजों की संख्या बढ़ी है।

जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी के मामले की जांच की गई थी।
स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पताल में समुचित दवाइयां उपलब्ध हैं।

रोगी समय से पहुंच जाए तो उसकी जान बचायी जा सकती है लेकिन लोग नीम हकीम के चक्कर में पड़ रहे हैं!
मौतों के मामले में सूचना मिली है। जांच करवा रहे हैं। कार्रवाई करेंगे?

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